Uttarakhand News Today: साल 2024 अपने आखिरी पड़ाव पर है. देव भूमि उत्तराखंड के लिए साल 2024 कई दुखद घटनाओं का गवाह बना. हल्द्वानी के दंगे, मरचूला बस हादसा और भीमताल बस दुर्घटना जैसी घटनाओं ने देवभूमि को झकझोर दिया. इन घटनाओं ने कई परिवारों को ऐसा दर्द दिया जिसे वे कभी भुला नहीं पाएंगे. साल खत्म होने को है, लेकिन यह साल कई घरों में मातम और दर्द की कहानियां छोड़ गया.
साल की शुरुआत में हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए दंगे ने राज्य की शांति व्यवस्था को गहरा धक्का दिया. 8 फरवरी को प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बने अवैध मदरसे और नमाज स्थल को हटाने के लिए पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीमों को बुलडोजर के साथ भेजा, लेकिन विरोध इतना बढ़ गया कि हालात बेकाबू हो गए.
हलद्वानी ने झेला हिंसा का दंश
समुदाय विशेष के लोगों ने पुलिस और प्रशासन की टीमों को घेर लिया. इस दौरान छतों से पत्थर बरसाए गए, भीड़ ने सड़क पर खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. हालात इतने बिगड़ गए कि उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को घेर लिया और पेट्रोल बम फेंककर उसे जलाने की कोशिश की. पुलिसकर्मियों ने अपनी जान बचाने के लिए थाने के अंदर शरण ली.
स्थिति को काबू में करने के लिए जिला प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए. एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा के नेतृत्व में पुलिस ने कार्रवाई की. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और मीडिया कर्मी घायल हुए. बनभूलपुरा और हल्द्वानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा. इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं. इस दंगे का दंश पूरे हल्द्वानी शहर ने झेला.
अल्मोड़ा हादसे में 36 ने गंवाई जान
पांच नवंबर को अल्मोड़ा जिले के मरचूला क्षेत्र में हुए बस हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर दिया. सल्ट विकासखंड में यात्रियों से भरी एक प्राइवेट बस अनियंत्रित होकर 150 फीट गहरी खाई में गिर गई. इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई.
हादसे के बाद का मंजर बेहद दर्दनाक था. घटनास्थल पर शव बिखरे हुए थे और कई घायल यात्री लहूलुहान हालत में कराह रहे थे. इस दृश्य ने बचाव दल और अधिकारियों को भी भावुक कर दिया. मृतकों में कई ऐसे थे जिनके परिवार ने अपने जीवन का सहारा खो दिया. किसी मां ने अपना बेटा खो दिया तो किसी पत्नी ने अपना पति.
साल के अंत में, 25 दिसंबर को भीमताल के आमडाली क्षेत्र में एक रोडवेज बस 300 मीटर गहरी खाई में गिर गई. यह बस पिथौरागढ़ से हल्द्वानी आ रही थी. इस दुर्घटना में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दमुवाढूंगा निवासी दीक्षा प्रकाश ने अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया.
सड़क हादसों 401 घरों के बुझ गए चिराग
इस साल उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं ने 401 घरों के चिराग बुझा दिए. जनवरी से नवंबर के बीच कुमाऊं मंडल के छह जिलों में कुल 555 सड़क हादसे हुए, जिनमें तेज रफ्तार, खतरनाक मोड़ और लापरवाही मुख्य कारण बने.
साल 2024 की इन दुखद घटनाओं ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड को यातायात नियमों के पालन और आपदा प्रबंधन में सुधार की सख्त जरूरत है. हल्द्वानी के दंगे से प्रशासनिक व्यवस्थाओं और संवाद की खामियों का पता चला. वहीं, सड़क हादसों ने यह दिखाया कि तेज रफ्तार और लापरवाही कितनी घातक हो सकती है.
साल 2024 विदा होने को है, लेकिन इस साल की घटनाओं से मिले सबक को भुलाया नहीं जा सकता. हल्द्वानी दंगे और सड़क हादसों ने न केवल कई परिवारों को गम दिया, बल्कि राज्य प्रशासन और जनता को भी आत्ममंथन करने पर मजबूर किया. अब जरूरत इस बात की है कि 2025 में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि देवभूमि की शांति और सुरक्षा बनी रहे.