Uttarakhand Politics: उत्तराखंड की राजनीति के लिहाज से साल 2024  एक ऐतिहासिक वर्ष रहा. इस साल प्रदेश की सियासत में बड़े बदलाव देखने को मिले, जिनमें लोकसभा चुनाव, विधानसभा उपचुनाव और निकाय चुनाव जैसी घटनाएं शामिल हैं. जहां एक तरफ भाजपा ने लोकसभा की सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, वहीं विधानसभा के उपचुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. इसके अलावा, निकाय चुनाव की घोषणा ने साल के अंत में राजनीतिक सरगर्मियों को और तेज कर दिया. आइए, जानते हैं कि साल 2024 में उत्तराखंड की राजनीति का समीकरण कैसा रहा और किन नेताओं की किस्मत चमकी.


साल 2024 का सबसे बड़ा चुनावी समर लोकसभा चुनाव था, जिसमें उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटों पर भाजपा ने तीसरी बार लगातार जीत दर्ज की. हालांकि, प्रत्याशियों के चयन के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के बीच खींचतान और अटकलों का दौर जारी रहा. गढ़वाल लोकसभा सीट पर भाजपा ने इस बार पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत की जगह राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को उतारा. बलूनी ने  भी जीत दर्ज की और पार्टी को निराश नहीं किया.


उत्तराखंड में इन नेताओं की चमकी किस्मत
बीजेपी ने हरिद्वार सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा जबकि  इस सीट पर 2019 में रमेश पोखरियाल निशंक चुनाव जीतकर आए थे. भाजपा ने इस सीट पर भी जीत हासिल की. अल्मोड़ा, नैनीताल, और टिहरी सीटों पर भाजपा ने पुराने सांसदों पर भरोसा जताया। अजय टम्टा, अजय भट्ट, और माला राज्य लक्ष्मी शाह ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की.


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को लोकसभा चुनाव में मिली पार्टी की सफलता के बाद राज्यसभा भेजा गया. यह निर्णय न केवल महेंद्र भट्ट की राजनीतिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला था, बल्कि यह भाजपा आलाकमान का उन पर भरोसा भी दर्शाता है.


कांग्रेस के ये नेता भी चमके
साल 2024 में उत्तराखंड की तीन विधानसभा सीटों- मंगलौर, बदरीनाथ और केदारनाथ पर उपचुनाव हुए. इन उपचुनावों ने प्रदेश की राजनीति में नया रंग भरा और कई नए चेहरों को सियासी मंच पर चमकने का मौका दिया. मंगलौर विधानसभा सीट पर 2022 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी शरबत करीम अंसारी विधायक बने थे, लेकिन उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की.


बदरीनाथ सीट पर उपचुनाव ने कांग्रेस के लखपत बुटोला को चमकने का मौका दिया. यह सीट पहले भाजपा के राजेंद्र भंडारी के पास थी, लेकिन भंडारी के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव हुआ. इस बार कांग्रेस ने बाजी मारी और लखपत बुटोला विधायक बने. केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा की शैलारानी रावत के निधन के बाद उपचुनाव हुआ. इस सीट पर बीजेपी की आशा नौटियाल चुनाव जीतीं. 


इन नेताओं का बढ़ता गया कद
2024 में कई नेताओं का राजनीतिक कद बढ़ा. भाजपा के महेंद्र भट्ट राज्यसभा सांसद बने, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार से जीत हासिल कर अपने कद को और मजबूत किया. कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन और लखपत बुटोला जैसे नेता उपचुनाव जीतकर चर्चा में आए. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "साल 2024 पार्टी और प्रदेश दोनों के लिए ऐतिहासिक रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनता ने तीसरी बार भाजपा को केंद्र में सत्ता सौंपी."


कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा, "हम हार से हताश नहीं हैं. कांग्रेस के पास जनता की सेवा करने का लंबा इतिहास है, और हम आने वाले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेंगे." कुल मिलाकर साल 2024 उत्तराखंड की राजनीति के लिए अहम मोड़ साबित हुआ. ये साल राजनीतिक समीकरणों और नेताओं के लिए नए अवसर और चुनौतियां लेकर आया.


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