प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट के तौर पर जाना जाता है. यहां आने वाले फैसले अक्सर नज़ीर बनते हैं. यहां से आने वाले फैसलों की चर्चा यूपी के साथ ही पूरे देश में होती है. हालांकि साल 2020 में कोरोना की महामारी का असर इलाहाबाद हाईकोर्ट पर भी खूब पड़ा. लंबे अरसे तक हाईकोर्ट पूरी तरह बंद रहा. काफी दिन यहां ई फाइलिंग के ज़रिए मुक़दमे दाख़िल किए गए. वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए मुकदमों की सुनवाई की गई.
इन सबके बावजूद साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई बड़े मामलों पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने कई ऐसे फैसले दिए, जिन पर काफी दिनों तक चर्चा हुई. साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कौन से प्रमुख मुक़दमे दाखिल किये गए. आइए जानते हैं अदालत ने कौन से बड़े व अहम फैसले सुनाएं.
1- यूपी में कोरोना की रफ़्तार को रोकने में सूबे की योगी सरकार ने बेहतरीन काम किया तो साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपना अहम योगदान दिया. सूबे में कोरोना को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट आठ मार्च से लगातार मानीटरिंग कर रहा है. हाईकोर्ट के दखल की वजह से ही सरकारी अमला पूरे साल मुस्तैद रहा. कोर्ट ने क्वारंटीन सेंटर्स से लेकर अस्पतालों तक के इंतजाम की निगरानी करते हुए वहां सुविधाएं बढ़वाईं तो साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए पुलिस को भी सड़कों पर उतार दिया. पुलिस को स्पेशल टास्क फ़ोर्स बनानी पडी तो साथ ही कई बड़े शहरों में ड्रोन कैमरों से निगरानी कराई गई. अदालत ने दूसरे राज्यों से यूपी आने वाले मजदूरों को प्रवासी बताए जाने पर नाराज़गी जताई तो साथ ही उनको बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए तमाम निर्देश दिए. कोर्ट नये साल में भी कोविड से जुड़े मामलों की मानीटरिंग करती रहेगी.
2- लव जेहाद: धर्मांतरण और प्रेम संबंधों को लेकर यूपी में पूरे साल बहस होती रही. इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इससे जुड़े कई मामले आए. मुज़फ्फरनगर की प्रियांशी उर्फ़ समरीन के मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए महज़ शादी के लिए किये गए धर्म परिवर्तन को अवैध करार दिया और अर्जी को खारिज कर दिया तो डिवीजन बेंच ने महीने भर बाद ही इस फैसले को पलट दिया. डिवीजन बेंच ने कहा कि अपनी पसंद का जीवन साथी चुनना किसी का भी मौलिक अधिकार है. इसे हिन्दू मुसलमान या फिर जाति- धर्म के दायरे में नहीं बांधा जा सकता. डिवीजन बेंच ने साफ़ तौर पर कहा कि अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ शादी रचाने वालों के रिश्ते पर एतराज जताने और विरोध करने का हक़ न तो परिवार और किसी बाहरी व्यक्ति को है और न ही राज्य को. कुशीनगर की प्रियंका खरवार के मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा कि अगर कोई भी ऐसा करता है तो उसे निजता के अधिकार में अतिक्रमण की तरह माना जाएगा. यूपी सरकार लव जेहाद को रोकने के लिए धर्मांतरण का जो अध्यादेश लाई है, उसे भी हाईकोर्ट में तमाम लोगों ने चुनौती दी है. हाईकोर्ट इस मामले में यूपी सरकार से जवाब तलब कर चुकी है और इस पर सात जनवरी को अंतिम सुनवाई की जाएगी.
3- सीएए और एनआरसी के विरोध में हुई हिंसा से जुड़े तमाम मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में आए. हाईकोर्ट ने हिंसा से जुड़े तमाम पहलुओं की रिपोर्ट तलब की. मृतकों और घायलों का ब्यौरा कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने यूपी सरकार की छह सौ पन्नों से ज़्यादा की रिपोर्ट ठुकरा दी. हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस की बर्बर कार्रवाई पर नाराज़गी भी जताई. अदालत ने इस मामले को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में हुई हिंसा की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंपी. अदालत ने तय वक़्त पर रिपोर्ट पेश नहीं करने पर आयोग को भी फटकार लगाई. मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग हैं और अंतिम फैसला आना बाकी है.
4- हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने और उनसे नुकसान की भरपाई किये जाने का मामला भी हाईकोर्ट के बड़े फैसलों में शुमार रहा. लखनऊ में सरकार की तरफ से सीएए हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने सुओ मोटो लेते हुए रविवार की छुट्टी के दिन भी सुनवाई की. नौ मार्च को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पोस्टर लगाए जाने को गलत -गैर ज़रूरी और निजता का हनन बताया और इसे एक हफ्ते में हटाए जाने की ज़िम्मेदारी पुलिस कमिश्नर और डीएम को दी. हालांकि सरकार इस मामले में अड़ गई. उसने पोस्टर हटाने की बात नहीं मानी और फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बाद में सरकार इस मामले में अध्यादेश ले आई, लेकिन हाईकोर्ट ने आर्डिनेंस पर भी सरकार से जवाब तलब कर लिया है.
5- दलितों से जुड़े कई मामलों पर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसले सुनाए. सोनभद्र के खनन अधिकारी केपी ठाकुर के मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एससी एसटी एक्ट के तहत किसी के खिलाफ केस तभी दर्ज किया जा सकता है, जब घटना कुछ लोगों के सामने हुई हो. लोग गवाही दे सकें और पीड़ित यह साबित कर सके कि दूसरे लोगों के सामने उसे जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया गया है. दो जून को दिए गए एक फैसले में हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया कि अनुसूचित जाति के लोग भी अब एससी वर्ग के किसी दूसरे व्यक्ति की ज़मीन मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना नहीं खरीद सकेंगे. इससे पहले यह नियम था कि दलितों की ज़मीन कोई गैर दलित बिना मंजूरी के नहीं खरीद सकता था.
6- अयोध्या में रामलला के मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास का मामला भी इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंचा था. पांच अगस्त को होने वाले समारोह पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर मुम्बई के सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने अर्जी दाखिल की थी. दलील यह दी गई थी कि समारोह में कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का पालन नहीं हो सकेगा, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. हाईकोर्ट ने इसे सिर्फ आशंका करार दिया और दखल देने से इंकार करते हुए अर्जी को खारिज कर दिया.
7- साल दो हज़ार बीस में हाईकोर्ट से तमाम बड़े लोगों को राहत मिली. एलएलएम छात्रा के यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को तीन फरवरी को जमानत मिल गई. हाईकोर्ट ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज के डा० कफील खान पर लगे एनएसए को रद्द करते हुए उन्हें भी जमानत पर जेल से रिहा किये जाने का आदेश दिया. जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह को कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक से रंगदारी मांगने के मामले में जमानत मिली.
यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा नियंत्रक रहीं पीसीएस अफ़सर अंजूलता कटियार को भी करीब आठ महीने बाद जमानत मिल सकी. नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह और धोखाधड़ी के आरोप में जेल में बंद सपा विधायक नाहिद हसन की भी जमानत की अर्जी हाईकोर्ट ने मंजूर की. फिल्म एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी और उनके परिवार के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगाई. हालांकि महोबा के एसपी रहे आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की सभी अर्जियां हाईकोर्ट से खारिज हो गईं और उन्हें कोई राहत नहीं मिली. रामपुर के सपा सांसद आज़म खान और उनके परिवार को भी हाईकोर्ट से ज़्यादातर मामलों में निराशा ही हाथ आई.
8- हाईकोर्ट ने कई चर्चित मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए. कोर्ट ने बागपत जेल में फ़िल्मी अंदाज़ में मौत के घाट उतारे गए पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी मर्डर केस की सीबीआई जांच के आदेश दिए. बुलंदशहर की खुर्जा तहसील के चार गांवों में किसानों को दो बार मुआवजा देने के नाम पर करोड़ों के गबन के मामले की जांच भी हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी. पुलिस कस्टडी से लापता हुए बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी के छात्र शिवम त्रिवेदी के मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई.
9- कोरोना काल में तमाम शहरों में मस्जिदों से अजान पर रोक लगा दी गई. हाईकोर्ट ने इस रोक को पूरी तरह गलत करार दिया. अदालत ने गाज़ीपुर -हाथरस और फर्रुखाबाद समेत दूसरे शहरों में अज़ान पर रोक के आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने अज़ान को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ बताया और कहा कि इससे कोविड गाइड लाइन का कतई उल्लंघन नहीं होगा. हालांकि अदालत ने कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों की अनुमति दिए जाने से साफ़ इंकार किया. कोर्ट ने ईद और बकरीद पर एक घंटे के लिए मस्जिदों व ईदगाहों को खोले जाने की इजाजत नहीं दी. मुहर्रम पर जुलूस निकालने के मामले में भी दखल देने से मना किया तो दुर्गापूजा और दशहरा के त्यौहारों को लेकर भी लोगों की अर्जियों को मंजूर नहीं किया.
10- हाईकोर्ट ने गायों की रक्षा के नाम पर सरकारी अमले की मनमानी कार्रवाई पर नाराज़गी जताई और साफ़ तौर पर कहा कि यूपी गौ हत्या रोकथाम अधिनियम का दुरूपयोग हो रहा है. बेगुनाहों को जेल भेजा जा रहा है. लोग ऐसे अपराध में जेल जा रहे हैं जो वह करते ही नहीं हैं. किसी भी तरह के मांस की बरामदगी को बीफ बता दिया जाता है और फॉरेंसिक लैब में उसकी जांच तक नहीं कराई जाती. अदालत ने गायों की देखरेख के बेहतर इंतजाम न होने और गौशालाओं की हालत अच्छी नहीं होने पर भी नाराज़गी जताई.
11- हाईकोर्ट ने हाथरस मामले में सीधे दखल देने से मना कर दिया और पीड़ित परिवार की तरफ से दाखिल अर्जी को खारिज कर दिया. हालांकि लखनऊ बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है.
12- यूपी सरकार इन दिनों सूबे के माफियाओं -बाहुबलियों और दूसरे अपराधियों के खिलाफ आपरेशन नेस्तनाबूत अभियान चला रही है. इसके तहत अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के साथ ही सम्पत्तियों को कुर्क किया जा रहा है. कई माफिया और दूसरे अपराधी हाईकोर्ट आए, लेकिन किसी को कोई बड़ी राहत नहीं मिल सकी.
13- हाईकोर्ट ने एक सितम्बर को अहम फैसला सुनाते हुए यूपी में हुक्का बारों के संचालन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी. अदालत ने यह आदेश सूबे में कोरोना के संक्रमण को रोके रखने के मद्देनज़र दिया है. कोर्ट ने सूबे के चीफ सेक्रेट्री से इस आदेश का सख्ती से पालन कराने को कहा था.
14- हाईकोर्ट ने अठारह नवम्बर को एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पति या पत्नी एक दूसरे को बेवफा साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट का प्रयोग कर सकते हैं. इसी तरह अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित करने के लिए भी पति या पत्नी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. कोर्ट ने डीएनए टेस्ट को सबसे सही -प्रामाणिक और सटीक साधन बताया है.
15- शिक्षक भर्ती से जुड़े कई मामलों की सुनवाई भी हाईकोर्ट में हुई, जिसमे अदालत ने अलग -अलग फैसले सुनाए. कोर्ट ने टीचर्स के ट्रांसफर के मामले में भी दखल दिया. पहले तबादलों पर रोक लगाई फिर कुछ निर्देशों के साथ रोक हटा दी. दिसम्बर महीने में इस साल मिड सेशन यानी बीच सत्र में प्राइमरी टीचर्स के तबादले की मंजूरी भी कोर्ट ने दे दी. इससे चौवन हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों को फायदा मिलेगा.
16- हाईकोर्ट ने लाकडाउन पीरियड में सबसे पहले वाइन शाप खोलने के फैसले पर कोई दखल नहीं दिया. इसी तरह औरैया में सड़क हादसे में मौत का शिकार हुए मजदूरों और घायलों को एक साथ बिठाने के मामले में भी सीधे तौर पर कोई दखल नहीं दिया. कोरोना और लाकडाउन पीरियड में स्कूलों की फीस को लेकर तमाम अर्जियां कोर्ट में दाखिल की गईं, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में भी अभी कोई बड़ा आदेश नहीं दिया है. वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद का मामला भी कोर्ट में पेंडिंग है. मथुरा में ईदगाह की ज़मीन हिन्दुओं को दिए जाने के मामले में भी अभी सुनवाई नहीं हो सकी है.
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