UP News: उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने प्रदेश सरकार की अनुमति के बगैर ही भू उपयोग बदलकर भूखंड आवंटित कर दिए. भू उपयोग परिवर्तन साल 2009 और 2010 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार के समय किए गए थे. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड के अनुमोदन लिए बिना ही महायोजना 2031 के पहले चरण पर काम शुरू कर दिया.


YEIDA ने सरकारी व निजी भूमि उच्च मूल्य पर अधिग्रहित की. इससे उसे 128 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना पड़ा. जमीन की खरीद में अत्यधिक देरी होने के कारण यीडा को 188.64 करोड रुपये का नुकसान हुआ.


विधानमंडल के दोनों सदनों में रखी गई कैग रिपोर्ट


कैग ने यीडा की 2005-06 से लेकर 2020-21 तक के अवधि के कामों की जांच का रिपोर्ट तैयार की है. उस रिपोर्ट को गुरुवार को सरकार ने विधानमंडल के दोनों सदनों में रखा. कैग ने भू उपयोग परिवर्तन कर भूखंडों के आवंटन करने वाले कर्मियों का उत्तरदायित्व तय कर कार्यवाही करने की संस्तुति की है. रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि महायोजना 2031 के अनुमोदन के 9 साल बीत जाने के बावजूद 52 में से 29 सेक्टरों के लेआउट अभी तक तैयार नहीं किए गए हैं.


इसके साथ ही यीडा ने महायोजना के दूसरे चरण में विकास के लिए चार शहरी केंद्र चिन्हित किए हैं. उसमें अभी तक अलीगढ़ और मथुरा में दो शहरी केंद्रों की महायोजनाएं ही तैयार की थी. वहीं अभी हाथरस और आगरा में शेष दो शहरी केंद्रों की महा योजनाओं को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया. इसको लेकर कैग ने लिखा की महायोजना के अभाव में अनियोजित और अनियंत्रित विकास तथा निर्माण से इनकार नहीं किया जा सकता. 


भूमि अर्जन अधिनियम के तहत यीडा द्वारा अर्जेंसी क्लाज लागू करने के बाद भी भूमि अर्जन की प्रक्रिया में काफी विलंब हुआ. इससे व्यय भी अधिक हुआ।  यीडा ने अलग-अलग योजनाओं की निगरानी के लिए सालाना योजना भी नहीं बनाई. इस कारण आवंटित धनराशि का कम उपयोग हुआ.


सरकार की मंजूरी के बिना भू उपयोग में बदलाव


यीडा को लेकर कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यीडा ने तमाम अभिलेख और सूचनाएं नहीं दी. इससे लेखा परीक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ा, प्रदेश सरकार की मंजूरी के बिना भू उपयोग में बदलाव कर भूखंड आवंटित किए. यहां तक कहा गया कि यीडा ने भूमि अर्जन अधिनियम 1894 के प्रावधानों का भी पालन नहीं किया. भू स्वामियों को सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया. कार्रवाई के विभिन्न चरणों में देरी से 36 प्रस्ताव फंस गए. यीडा ने पहले से अधिग्रहित सरकारी जमीन का ऊंची दरों पर दोबारा अधिग्रहण कर 128.02 करोड़ का ज्यादा भुगतान हुआ.


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