Haridwar News: हरिद्वार गंगा आरती में बही भक्ति की बयार, रामदेव बोले- 'शास्त्र श्रावण ने रचा नया इतिहास'
Uttarakhand: हरिद्वार मे रामदेव ने कहा कि, 'शास्त्र केवल शब्द नहीं, यह अमृत ज्ञान है. जबतक भारत अपनी संस्कृति और सनातन परंपरा को अपनाएगा, तब तक विश्व में आध्यात्मिकता और शांति का प्रवाह बना रहेगा.

Ramdev In Haridwar: हरिद्वार की हर की पौड़ी एक बार फिर भारतीय संस्कृति के अद्वितीय वैभव की साक्षी बनी. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के तत्वाधान में आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के अंतर्गत, पतंजलि विश्वविद्यालय की मेजबानी में एक भव्य आयोजन हुआ. कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव सहित देश के कोने-कोने से पहुंचे हजारों विद्वानों और श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से शास्त्रों का श्रावण किया और एक साथ गंगा आरती में भाग लेकर नया रिकॉर्ड बनाया.
हरिद्वार के इस दिव्य आयोजन ने केवल एक दिन का आध्यात्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण की एक नई लहर को जन्म दिया. जब-जब गंगा बहेगी, जब-जब वेदों की ऋचाएँ गूंजेंगी, तब-तब इस अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव का यह स्वर्णिम अध्याय स्मरण किया जाएगा.
वेद हमारा इतिहास भी और वर्तमान दोनों- स्वामी रामदेव
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि, 'शास्त्र केवल शब्द नहीं, यह अमृत ज्ञान है. जबतक भारत अपनी संस्कृति और सनातन परंपरा को अपनाएगा, तब तक विश्व में आध्यात्मिकता और शांति का प्रवाह बना रहेगा.' इसके साथ ही उन्होंने सनातन का उदघोष करते हुए समर्थ और संगठन होकर विकसित भारत बनाने की बात कही. उन्होंने वेद और शास्त्र को जीवन का सर्वोपरि तत्व बताते हुए कहा कि वेद हमारा इतिहास और वर्तमान दोनों है.
वेद शास्त्र जीवन जीने की कला- आचार्य रामदेव
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति और आयुर्वेदशिरोमणि आचार्य बालकृष्ण ने संध्या आरती और शास्त्र श्रावण को विशेष बताते हुए सनातन धर्म को जीवन में उतारने की बात कही. उन्होंने कहा कि वेद और शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है. इनमें निहित विज्ञान,चिकित्सा और दर्शन सम्पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन देने की सामर्थ रखता है.
इसी के साथ केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने पतंजलि विश्वविद्यालय की इस पहल को विश्व कीर्तिमान बताते हुए कहा कि आज हजारों छात्रों ने एक साथ शास्त्र कंठपाठ कर वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है. इसी के साथ उन्होंने संस्कृत भाषा, वेद और शास्त्र और भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के महत्व पर बल दिया.
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो. साध्वी देवप्रिया ने भारतीय शास्त्रों के पुनर्जागरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और वेदों, उपनिषदों,आयुर्वेद और योग के प्रचार-प्रसार को गति देगा.
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