यूपी के इस जिले से 50 हजार टन हल्दी खरीदेंगे योग गुरु रामदेव, इन कामों में होगी इस्तेमाल
UP के इस जिले में एफपीओ के 1,880 पुरुष किसान तथा 975 महिला किसान हल्दी उत्पादन से जुड़े हैं. यहां 150 हेक्टेयर में जिमीकन्द की खेती की जा रही है.
UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट (ओडीओपी) योजना का असर लगातार दिख रहा है. इसी कड़ी में योगगुरु स्वामी रामदेव बहराइच की हल्दी खरीदने के लिए आगे आए हैं. इसका इस्तेमाल वे आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में करेंगे. बता दें कि बहराइच की हल्दी की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, इस कारण इसकी डिमांड भी काफी रहती है. यही वजह है कि योगगुरु की कंपनी और बहराइच के तीन एफपीओ के बीच एमओयू साइन किया गया है.
बहराइच में 86 कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठित किये गये हैं.इसमे से तीन एफपीओ और योगगुरु स्वामी रामदेव की कंपनी के बीच एमओयू साइन किया गया है. यह एमओयू बहराइच की 3 एफपीओ प्रत्युष बायोएनर्जी फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, वीरांगना लक्ष्मीबाई महिला किसान निर्माता कंपनी लिमिटेड और सीएससी राज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड ने साइन किया है. हरिद्वार में हुए एमओयू में योगगुरु स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, बहराइच जिलाधिकारी मोनिका रानी, उप कृषि निदेशक टीपी शाही, सीएससी राज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड मिहिंपुरवा के निदेशक अखिलेश सिंह आदि मौजूद रहे.
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बहराइच का मिहिंपुरवा क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से लैस
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि बहराइच का मिहिंपुरवा क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों, उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु होने के कारण कृषि के लिए काफी उपयुक्त है. यही वजह है कि यहां हल्दी, जिमीकन्द और हरी सब्जियों की काफी अधिक मात्रा में खेती की जाती है. इसे कई राज्यों के साथ ही प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी भेजा जाता है. इसके बावजूद अन्नदाताओं को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था. इसे देखते हुए अन्नदाताओं की आय बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 45-50 हजार टन हल्दी के विक्रय/विपणन स्वामी रामदेव की कंपनी से कराया गया है.
इस जिले में एफपीओ के 1,880 पुरुष किसान तथा 975 महिला किसान हल्दी उत्पादन से जुड़े हैं. इसी तरह यहां 150 हेक्टेयर में जिमीकन्द की खेती की जा रही है, जिसमें 30-35 टन प्रति हेक्टेयर में कुल 5,250 टन जिमीकन्द का उत्पादन हो रहा है. स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में इसकी मांग अधिक है. इसी प्रकार लगभग 600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में हरी सब्जियों की भी यहां खेती हो रही है.