गोरखपुर, नीरज श्रीवास्‍तव: 42 साल की उम्र में लगातार पांच बार सांसद रहने का रिकॉर्ड रखने वाले नाथ सम्प्रदाय के अगुवा, गोरक्षपीठ के महंत और यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का आज 48वां जन्‍मदिन है. योगी से राजयोगी बने योगी आदित्‍यनाथ के अजय सिंह बिष्‍ट से यूपी के सीएम बनने के सियासी सफर के बारे में जानिए...



उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ जन्म


हिन्दू वोट बैंक की राजनीति में माहिर भाजपा के स्टार प्रचारक और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्‍म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम आनन्‍द सिंह बिष्‍ट और माता का नाम सावित्री देवी है. सात भाई-बहनों में वो पांचवां स्‍थान रखते हैं. 22 साल की उम्र में वे सांसारिक मोह-माया छोड़कर योगी बन गए. उन्होंने श्रीनगर के गढ़वाल विश्‍वविद्यालय से गणित से बीएससी किया है.


ऐसे अजय सिंह बिष्ट बन गए योगी आदित्यनाथ


साल 1993 में वो गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गोरखपुर आए. 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान ही उन्‍होंने ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर योगी बन गए और उनका नाम अजय सिंह बिष्‍ट से योगी आदित्‍यनाथ हो गया. साल 1996 के लोकसभा चुनाव में महंत अवैद्यनाथ के चुनाव का संचालन किया. वर्ष 1998 में गुरुदेव महंत अवैद्यनाथ ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया. यहीं से 26 साल के उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. योगी को सबसे कम उम्र का सांसद होने का गौरव भी प्राप्‍त हुआ.



योगी ने जब गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया , तो उनके ऊपर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूल-कॉलेजों और गोरक्षपीठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी रही. इसके साथ ही, उनके ऊपर गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय और आमजन की पीड़ा का भी समाधान करने की जिम्‍मेदारी रही है.


योगी और विवाद


समय के साथ योगी आदित्यनाथ की ख्याति भी बढ़ती चली गई. 10 फरवरी, 1999 में महाराजगंज जिले के थाना कोतवाली स्थित पचरुखिया कांड ने योगी को और चर्चा में ला दिया. यहीं से शुरू हुआ योगी और विवादों का चोली दामन का साथ. उनके ऊपर मुस्लिम विरोधी होने के साथ-साथ सांम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप लगता रहा. गोरखपुर में हुए दंगे कर्फ्यू के दौरान उन्‍हें जेल भी जाना पड़ा. योगी आदित्‍यनाथ धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे.


इसी दौर में उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती प्रदान कर हिन्दुत्व और विकास का नारा बुलंद किया. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा शीर्ष नेतृत्व में चल रही उथल-पुथल और पार्टी की गिरती साख को लेकर बगावती तेवर भी दिखाए.



 इसके साथ ही वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में तवज्जों नहीं मिलने पर हिन्दू युवा वाहिनी से प्रत्याशियों की घोषणा तक करने का ऐलान कर दिया. इससे भाजपा खेमे सहित राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई. अंततः शीर्ष नेतत्व ने योगी आदित्यनाथ को तवज्जों दिया और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में अपनी साख बचाए रखने का मन बनाया. इसका भाजपा को फायदा भी मिला और योगी आदित्‍यनाथ का कद भी दिन प्रतिदिन बढ़ता गया.


उन्‍होंने आतंकवाद, नक्सलवाद और देश विरोधी तत्वों से निपटने के लिए भी खुलकर भाषण दिए और अपने तरीके से इसके खात्मे का ऐलान तक करते रहे. साल 1998, 99, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर अपनी धमक दिखाई और पूर्वांचल ही नहीं पूरे देश 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकॉर्ड भी बनाया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में सांसद से अधिक उग्र हिन्दुत्व के पैरोकार योगी आदित्यनाथ अपनी सक्रियता के बूते चुनाव जीतते आए हैं. शायद ही कोई सांसद रात के ग्यारह बजे सभा कर लौटे और पुनः पौने तीन बजे जग जाए. योगी अपने योग के लिए ऐसा ही करते हैं.



उनकी सुबह तीन बजे शुरू होने वाली दिनचर्या रात तक चलती है. इसमें सुबह के योग, पूजा-पाठ, गो-सेवा, जनता दरबार, के बाद क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों में हिन्दुव का ज्वार उभारना भी शामिल है. योगी विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं. पूर्वांचल गवाह है कि गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्‍यनाथ जितना उग्र तेवर पहले किसी महंत में नहीं रहा है.


दूसरे लोकसभा चुनाव में योगी सपा प्रत्याशी जमुना निषाद से जहां हारते-हारते जीते. जीत का अंतर महज सात हजार वोटों का था. इसके बाद तो उन्होंने ताबड़तोड़ जीत हासिल कर अपनी ताकत का एहसास कराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां कर उन्‍होंने स्‍टार प्रचारक की भूमिका का निर्वहन किया और गोरखपुर से चुनाव जीतकर अपनी हनक भी कायम रखी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने 19 मार्च 2017 को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली.



साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने गोरखपुर-बस्‍ती मंडल की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्‍याशियों को जीत का सेहरा बांधने में अहम भूमिका निभाई. यूपी सहित देश के कई राज्‍यों में प्रचार की कमान संभालकर वे भाजपा प्रत्‍याशियों की जीत सुनिश्चित कर गेम चेंजर बने. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के हिन्दुव के मुद्दे पर किसी को शक नहीं है. बिजली, पानी, सड़क, रोजगार के मुद्दे पर उन्‍होंने लोगों ने तीन साल दो महीने 11 दिन के कार्यकाल में यूपी के लोगों का दिल जीतने का काम किया है. वे लगातार गोरक्षपीठ, योग, धर्म और आध्‍यात्‍म पर पुस्‍तकें भी लिखते रहते हैं.


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