लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पिछली सरकारों के मुकाबले अपराधों में जबरदस्त सुधार हुआ है. यूपी सरकार ने गुरुवार को प्रदेश में अपराधों की संख्या में कमी का दावा किया है. सरकार ने इसको लेकर पिछले 9 सालों के तुलनात्मक आंकड़े भी पेश किए हैं. राज्य सरकार ने इस दौरान दावा किया कि अपराध और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का नतीजा है कि प्रदेश में अपराध न्यूनतम स्तर पर है.


सरकार ने पेश किया 9 सालों का आंकड़ा
गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में पिछले नौ सालों में घटित अपराधों के तुलनात्मक आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अपराध की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है. सरकार ने बताया कि डकैती के मामले में साल 2016 के मुकाबले 2020 में 74.50 फीसदी और 2012 के मुकाबले 74.67 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है.


लूट और हत्या के मामलों में भी बड़ी गिरावट
इसके अलावा सरकार ने दूसरे अपराधों के आंकड़े भी सामने रखे. सरकार ने बताया कि लूट के मामलों में क्रमशः 65.29 फीसदी और 54.25 फीसदी की गिरावट हुई है. वहीं, हत्या के मामलों में क्रमशः 26.43 फीसद और 29.74 फीसदी की कमी आई है. फिरौती के लिए अपराध के मामलों में साल 2016 के मुकाबले साल 2020 में 54.55 फीसदी और 2012 के मुकाबले 64.29 फीसदी की कमी आई है.


बलात्कार के मामलों में भी बड़ी गिरावट
सरकारी प्रवक्ता ने आगे बताया कि 2013 के मुकाबले 2020 में बलात्कार के मामलों में 25.94 फीसदी और 2016 के मुकाबले 38.74 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि पोक्सो एक्ट के मामलों में प्रभावी पैरवी करते हुए एक जनवरी 2019 से इस साल 30 जून तक 922 मुकदमों में आरोपियों को सजा हुई है. इनमें से पांच को मृत्युदंड, 193 को उम्र कैद और 724 को अन्य सजा हुई है.


गुंडा अधिनियम, रासुका के तहत हुई प्रभावी कार्रवाई
इसके अलावा सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि गुंडा अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हुई है. उन्होंने बताया कि गुंडा अधिनियम के तहत साल 2012 में 12,149 वहीं, वर्ष 2016 में 13,615 मुकदमे दर्ज हुए थे जबकि 2020 में अब तक 17,908 मामले दर्ज हुए हैं.


वहीं, गैंगस्टर एक्ट के तहत 2012 में 1313, वर्ष 2016 में 1716 और 2020 में 2346 मुकदमे दर्ज हुए हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत साल 2012 में 44, 2016 में 82 और 2020 में 112 केस दर्ज हुए. प्रवक्ता ने बताया कि अपराधियों के खिलाफ की गई कार्यवाही में उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले काफी आगे है. आईपीसी के अपराधों में 4,14,112 गिरफ्तारियों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है.


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