UP News: मुरादाबाद दंगों के 40 साल पुराने राज का खुलासा, इस वजह से भड़की थी हिंसा, BJP-RSS को क्लीन चिट
UP Assembly Session: रिपोर्ट में कहा गया है कि आरएसएस या किसी अन्य हिंदू संगठन द्वारा न तो कोई गुप्त बैठकें आयोजित की गईं और न ही दलितों को मुसलमानों से बदला लेने के लिए उकसाया गया था.
Moradabad Riots Report: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को 40 साल बाद पेश की गई 1980 के मुरादाबाद दंगों पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को ‘क्लीन’ चिट दी गई है. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Khanna) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की मौजूदगी में राज्य विधानसभा में 496 पन्नों की रिपोर्ट पेश की और देरी के कारण बताए. मई में, राज्य कैबिनेट ने न्यायमूर्ति एम पी सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का निर्णय लिया था.
रिपोर्ट में 1980 के दंगों के लिए मुस्लिम लीग के एक नेता और उनके समर्थकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, इन दंगों में 83 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सक्सेना ने नवंबर 1983 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा गया है कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई. इसमें मुस्लिम लीग के एक नेता और उनके कुछ समर्थकों को दंगों के लिए जिम्मेदार बताया गया है.
आरएसएस और हिन्दू संगठनों को क्लीन चिट
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या किसी अन्य हिंदू संगठन द्वारा न तो कोई गुप्त बैठकें आयोजित की गईं और न ही दलितों को मुसलमानों से बदला लेने के लिए उकसाया गया था. इसमें कहा गया है कि दरअसल, इसमें आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी का कोई हाथ नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि तथ्यों के गहन विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट है कि प्रत्येक घटना में मुस्लिम लीग के नेता डॉ. शमीम अहमद खान और उनके समर्थकों ने प्रमुख भूमिका निभाई और वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पुलिस और प्रशासन से लड़ने के लिए तैयार थे.
मुस्लिम लीग के नेता की अहम भूमिका
आयोग ने रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि खान के समर्थकों में मुस्लिम लीग के सदस्य और कुछ अन्य लोग भी शामिल थे. हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया है कि दंगों में सभी मुसलमानों का हाथ नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईद के दिन पुलिस अधिकारियों ने बेहद सावधानी बरती और ईदगाह पर तभी गोलीबारी की जब वहां रहने वाले लोगों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली सिर्फ आत्मरक्षा में चलाई गई थी. इसमें कहा गया है कि इसके बावजूद दंगाइयों ने आवेश फैलाया.
पुलिस ने आत्मरक्षा में चलाई गोली
रिपोर्ट में कहा गया ईदखाना, भूरा चौराहा और बर्फखाना (इलाकों) में ज्यादातर मौतें भगदड़ के कारण हुईं, जिसके लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. मुरादाबाद ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान हुए विवाद ने सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दंगों पर काबू पाने के उपाय भी सुझाए हैं और कहा है कि जब दंगा हो तो अफवाहों को दूर करते हुए लाउडस्पीकर के जरिए सही तथ्यों की जानकारी दी जाए. जब 1980 में दंगे हुए तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी जबकि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं.