एक्सप्लोरर

मौत का पर्याय बन चुकी इंसेफेलाइटिस पर योगी सरकार ने कसी नकेल, इन कदमों से काबू में आया खतरनाक रोग

पूर्वांचल में बच्चों के लिये काल बन चुकी इंसेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार के नाम से एक वक्त लोग भय खाते थे. जब योगी सरकार आई तो इस बीमारी के खिलाफ उन्होंने प्रथमिकता के आधार पर रणनीति बनाई, जिसका नतीजा ये रहा है कि आज इस बीमारी 95 फीसदी तक नियंत्रण पाया जा चुका है.

लखनऊ: चार दशक तक उत्तर प्रदेश के 38 जिलों, विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौनिहालों के लिए मौत का पर्याय रही इंसेफेलाइटिस बीमारी पर योगी सरकार ने नकेल कस दी है. पूर्व की सरकारों ने मासूमों पर कहर बरपाने वाली इस महामारी को मौत का सालाना जलसा मान लिया था, वहीं 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने समन्वित प्रयासों के "दस्तक" से सूबे को इंसेफेलाइटिस मुक्त बनाने में 95 फीसद सफलता हासिल कर ली है. बीते तीन सालों के साथ इस साल कोरोना काल की वैश्विक बीमारी में भी, योगी सरकार के ठोस और धरातलीय कार्य योजनाओं को देखते हुए सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले साल तक यह महामारी इतिहास के पन्नों की बात होगी.

पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1978 में पहली बार दस्तक देने वाली विषाणु जनित बीमारी इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार की चपेट में 2017 तक जहां 50 हज़ार से अधिक बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके थे और करीब इतने ही जीवन भर के लिए शारीरिक व मानसिक विकलांगता के शिकार हो गए, वहीं पिछले तीन सालों में ये आंकड़े दहाई से होते हुए इकाई में सिमटते गए. इस महामारी का केंद्र बिंदु समझे जाने वाले गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के इंसेफलाइटिस वार्ड में एक दौर वह भी था जब हृदय को भेदती चीखों के बीच एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती नज़र आते थे, अब इस वार्ड के अधिकतर बेड खाली रहते हैं. जिस पर मरीज हैं दिखेंगे, वे दुरुस्त इलाज के सुकून में. यह सब सम्भव हुआ है इस महामारी को करीब से देखने, बतौर सांसद लोकसभा में हमेशा आवाज़ उठाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद टॉप एजेंडा में शामिल कर इंसेफेलाइटिस उन्मूलन का संकल्पित कार्यक्रम लागू करने वाले योगी आदित्यनाथ के संवेदनशील प्रयासों से.

दिमागी बुखार अब दिल ओ दिमाग से दूर 1978 में जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहली बार सामने आए. इसके पहले 1956 में देश मे पहली बार तमिलनाडु में इसका पता चला था. चूंकि इंसेफेलाइटिस का वायरस नर्वस सिस्टम पर हमला करता है इसलिए जन सामान्य की भाषा में इसे मस्तिष्क ज्वर या दिमागी बुखार कहा जाने लगा. बीमारी नई-नई थी तो कई लोग 'नवकी बीमारी' भी कहने लगे. हालांकि देहात के इलाकों में चार दशक पुरानी बीमारी आज भी नवकी बीमारी की पहचान रखती है. 1978 से लेकर 2016 तक मध्य जून से मध्य अक्टूबर के चार महीने गोरखपुर और बस्ती मंडल के लोगों, खासकर गरीब ग्रामीण जनता पर बहुत भारी गुजरते थे. भय इस बात का कि न जाने कब उनके घर के चिराग को इंसेफेलाइटिस का झोंका बुझा दे. मानसून में तो खतरा और अधिक होता था, कारण बरसात का मौसम वायरस के पनपने को मुफीद होता है. बहरहाल 2017 के बाद इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण के उपायों से दिमागी बुख़ार का खौफ दिल ओ दिमाग से दूर हुआ है.

कुछ यूं महामारी को छू मंतर किया योगी सरकार ने मार्च 2017 में सरकार की कमान संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने इंसेफेलाइटिस के उन्मूलन को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा. 1998 में पहली बार लोकसभा में इंसेफेलाइटिस का मुद्दा गूंजा था तो इसकी पहल तब पहली बार सांसद बने योगी ने ही की थी. तब से 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले बतौर सांसद, 19 वर्षों तक सदन के हर सत्र में उन्होंने इस महामारी पर आवाज़ बुलंद की. पूर्वांचल के बच्चों के लिए मौत का पर्याय बनी रही इंसेफेलाइटिस पर रोकथाम के लिए तत्कालीन सत्ताधीशों की तन्द्रा तोड़ने को योगी ने तपती दोपहरी में अनेक बार गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज से जिलाधिकारी और कमिश्नर दफ्तर तक 10 किलोमीटर से अधिक पैदल मार्च भी किया. उनकी सजल आंखों ने मेडिकल कॉलेज में मासूमों के दम तोड़ने का खौफनाक मंजर देख रखा है, उनके दिल में उन बच्चों के बेबस माता पिता का दर्द भी पैबस्त है. उन्होंने इस बीमारी से विकलांग उन बच्चों की मनोदशा को करीब से महसूस किया है. तब, योगी से बेहतर और ठोस कार्ययोजना और कौन बना सकता था?

कारगर हथियार बना दस्तक अभियान इस मुद्दे पर दो दशक के अपने संघर्ष में योगी आदित्यनाथ इंसेफेलाइटिस के कारण, निवारण के संबंध में गहन जानकारी रखते हैं. बीमारी को जड़ से मिटाने के अपने संकल्प को लेकर उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के साथ स्वच्छता, शुद्ध पेयजल और जागरूकता को मजबूत हथियार माना. इसी ध्येय के साथ उन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल में संचारी रोगों पर रोकथाम के लिए 'दस्तक अभियान' का सूत्रपात किया. यह अंतर विभागीय समन्वय की ऐसी पहल थी जिसने इंसेफेलाइटिस उन्मूलन की इबारत लिखने को स्याही उपलब्ध कराई. दस्तक अभियान में स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, महिला एवं बाल कल्याण आदि विभागों को जोड़ा गया. आशा बहुओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, एएनएम, ग्राम प्रधान, शिक्षक स्तर पर लोगों को इंसेफेलाइटिस से बचाव के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी तय की गई. गांव-गांव शुद्ध पेयजल और हर घर में शौचालय का युद्ध स्तरीय कार्य हुआ. घर-घर दस्तक देकर बच्चों के टीकाकरण के लिए प्रेरित किया गया. योगी सरकार के इस अभियान को अच्छा प्लेटफॉर्म मिला 2014 से जारी मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के रूप में. पिछले तीन सालों में दस्तक अभियान के नतीजे शानदार रहे हैं. टीकाकरण जहां शत प्रतिशत की ओर अग्रसर है तो वहीं ग्रामीण स्तर पर आशा बहुओं द्वारा फीवर ट्रेकिंग किये जाने , सरकारी जागरूकता और स्वच्छता संबंधी प्रयासों से इंसेफेलाइटिस के मामलों और इससे मृत्यु की रफ़्तार थम सी गई है.

इलाज का मुक्कमल इंतज़ाम मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता यह भी थी कि एक भी इंसेफेलाइटिस मरीज इलाज से वंचित न रह जाए. उनके कमान संभालने तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के इलाज का केंद्र बिंदु गोरखपुर का मेडिकल कॉलेज ही था. मरीजों की संख्या के मुकाबले यहां तब इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे. इसकी जानकारी तो उन्हें पहले से ही थी. लिहाज़ा मेडिकल कालेज में चिकित्सकीय सेवाओं को मजबूत करने के साथ उन्होंने ऐसी व्यवस्था बना दी कि मरीज को समुचित इलाज गांव के पास ही मिल जाए. इस कड़ी में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी-पीएचसी) को इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर के रूप में विकसित कर इलाज की सभी सुविधाएं सुनिश्चित कराई गईं.

अकेले गोरखपुर जिले में 9 सीएचसी और 13 पीएचसी समेत कुल 23 इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर पर्याप्त सुविधाओं के साथ बीमारी पर लगाम लगा रहे हैं. यहां चौरीचौरा, गगहा और पिपरौली सीएचसी पर मिनी पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केअर यूनिट) की व्यवस्था है. मिनी पीकू में इंसेफेलाइटिस पीड़ित मासूमों के लिए तीन बेड और वेंटिलेटर के अलावा दो बाल रोग विशेषज्ञ, चार स्टाफ नर्स, एक टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की गई है. इसके अलावा सभी पीएचसी पर दो तथा सभी सीएचसी पर छह बेड इंसेफेलाइटिस मरीजों के लिए रिज़र्व हैं. जिला अस्पताल में भी ऐसे मरीजों के लिए 17 बेड की व्यवस्था है. इन सभी जगहों पर दवा व ऑक्सीजन की प्रचुर उपलब्धता इसलिए सुनिश्चित रहती है कि इसका संज्ञान खुद मुख्यमंत्री लेते हैं.

बेहतर हुई मेडिकल कॉलेज की चिकित्सकीय सुविधा इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 2018 में 80 प्रतिशत तो 2019 में 90 और 2020 में 95 प्रतिशत कमी आई है. इसमें महत्वपूर्ण योगदान दस्तक अभियान और योगी सरकार में बेहतर हुई मेडिकल कॉलेज की चिकित्सकीय सुविधाओं का है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड में हाई डिपेंडेंसी यूनिट की संख्या महज 6 थी जो अब 60 हो गई है. आईसीयू में वेंटिलेटर की संख्या 60 से बढ़कर 120 तथा नवजातों के लिए वार्मर की संख्या 14 से बढ़कर 40 हो गई है. 2017 तक इस कॉलेज के बाल रोग विभाग में 154 बेड थे, इनकी से संख्या अब करीब 500 है.

योगी सरकार के प्रयासों से यूं सिमटा दिमागी बुखार का कहर (गोरखपुर जिले की तस्वीर, आंकड़ों में) वर्ष         भर्ती         मरीज मृत्य 2016     655           127 2017      817           114 2018     435            41 2019     262            15

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन जिलों से आते थे इंसेफेलाइटिस के मरीज गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर के अलावा यूपी की सीमा से लगे बिहार के गोपालगंज, बगहा, सिवान तथा नेपाल की तराई के जिलों से इंसेफेलाइटिस रोगी पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही उपचार के लिए आते थे. यूपी में सरकार के प्रयासों से बीमारी नियंत्रित हुई है तो जिलों में सीएचसी और पीएचसी स्तर पर बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मिलने से बीआरडी में आने की जरूरत नहीं के बराबर पड़ रही है.

इंसेफेलाइटिस नियंत्रण को योगी मॉडल अपनाएं अन्य राज्य इंसेफेलाइटिस उन्मूलन की मांग को लेकर व्यापक अभियान चलाने वाले पूर्वांचल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आरएन सिंह मानते हैं कि योगी सरकार के समन्वित प्रयास से यहां इंसेफेलाइटिस पर बहुत हद तक काबू पा लिया गया है. योगी जी दो दशक से इसकी लड़ाई लड़ रहे थे. लोकसभा में हमारे सवालों को उन्हीं के माध्यम से उचित मंच मिलता था. मुख्यमंत्री बनने पर दस्तक अभियान में कई विभागों के समन्वित योगदान और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देकर उन्होंने इस महामारी पर नियंत्रण पा लिया है. 2018 से तो लगातार इसके मामले कम हुए हैं. देश के अन्य राज्यों को भी इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के लिए योगी मॉडल को अपनाना चाहिए ताकि पूरे देश से इसका उन्मूलन हो सके.

ये भी पढ़ें.

बरेली: किसानों के बीच पहुंचे सीएम योगी, कम्युनिज्म की ये थ्योरी बताते हुए विपक्ष पर लगाया गुमराह करने का आरोप

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Phil Salt
₹11.50 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

पाकिस्तान में क्यों जारी हुआ शूट एट साइट का ऑर्डर, इस्लामाबाद में हालात बेकाबू
पाकिस्तान में क्यों जारी हुआ शूट एट साइट का ऑर्डर, इस्लामाबाद में हालात बेकाबू
Ram Mandir Anniversary: अयोध्या में राम मंदिर की वर्षगांठ की तारीख बदली, 22 जनवरी को नहीं होगा आयोजन, जानें- क्यों?
अयोध्या में राम मंदिर की वर्षगांठ की तारीख बदली, 22 जनवरी को नहीं होगा आयोजन, जानें- क्यों?
IPL 2025 Auction: CSK ने तैयार कर ली एक चैंपियन टीम, ऐसी हो सकती है संभावित प्लेइंग इलेवन
CSK ने तैयार कर ली एक चैंपियन टीम, ऐसी हो सकती है संभावित प्लेइंग इलेवन
Vivian Dsena Personal Life: विवियन डीसेना को बांधकर रखती हैं उनकी दूसरी पत्नी नूरन, ऑनस्क्रीन मां ने खोले सारे राज
विवियन डीसेना को बांधकर रखती हैं उनकी दूसरी पत्नी नूरन, ऑनस्क्रीन मां ने खोले सारे राज
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal Masjid Clash: सर्वे की जल्दबाजी से संभल में हिंसा? Chitra Tripathi के साथ सबसे बड़ी बहसGehna Zevar Ya Zanjeer: 😱 Gehna trapped in Alia and Shakti Singh's web, will Ayushman believe?Jammu Protest: वैष्णो देवी रोप-वे प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन, लोगों ने किया जमकर हंगामाSambhal Masjid Clash: संभल में कहां से आए इतने पत्थर? SP नेता Manoj Kaka का सन्न करने वाला जवाब

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पाकिस्तान में क्यों जारी हुआ शूट एट साइट का ऑर्डर, इस्लामाबाद में हालात बेकाबू
पाकिस्तान में क्यों जारी हुआ शूट एट साइट का ऑर्डर, इस्लामाबाद में हालात बेकाबू
Ram Mandir Anniversary: अयोध्या में राम मंदिर की वर्षगांठ की तारीख बदली, 22 जनवरी को नहीं होगा आयोजन, जानें- क्यों?
अयोध्या में राम मंदिर की वर्षगांठ की तारीख बदली, 22 जनवरी को नहीं होगा आयोजन, जानें- क्यों?
IPL 2025 Auction: CSK ने तैयार कर ली एक चैंपियन टीम, ऐसी हो सकती है संभावित प्लेइंग इलेवन
CSK ने तैयार कर ली एक चैंपियन टीम, ऐसी हो सकती है संभावित प्लेइंग इलेवन
Vivian Dsena Personal Life: विवियन डीसेना को बांधकर रखती हैं उनकी दूसरी पत्नी नूरन, ऑनस्क्रीन मां ने खोले सारे राज
विवियन डीसेना को बांधकर रखती हैं उनकी दूसरी पत्नी नूरन, ऑनस्क्रीन मां ने खोले सारे राज
अस्थमा की ये दवा दिमागी सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान, अमेरिकन ड्रग एजेंसी ने किया डराने वाला खुलासा
अस्थमा की ये दवा दिमागी सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान, हुआ डराने वाला खुलासा
हर मिनट 1 रुपया भेजता है एक्स बॉयफ्रेंड! ट्रोमा से गुजर रही लड़की ने सुनाया दुखड़ा
हर मिनट 1 रुपया भेजता है एक्स बॉयफ्रेंड! ट्रोमा से गुजर रही लड़की ने सुनाया दुखड़ा
सर्दियों में फ्रिज का करना होता है संभाल के इस्तेमाल, नहीं तो आ सकती है खराबी
सर्दियों में फ्रिज का करना होता है संभाल के इस्तेमाल, नहीं तो आ सकती है खराबी
दिल्ली की तापमान में होगी भारी गिरावट, झमाझम बारिश को लेकर जानकारी आई सामने, पूरे देश में जानिए कैसा रहेगा मौसम
दिल्ली की तापमान में होगी भारी गिरावट, झमाझम बारिश को लेकर जानकारी आई सामने, पूरे देश में जानिए कैसा रहेगा मौसम
Embed widget