विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh)की जनता ने बीजेपी( BJP) का पूरा साथ दिया.अब बारी सरकार की थी, तो मंत्रिमंडल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का कद बढ़ा दिया गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश को योगी मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं. इससे साफ हो जाता है कि सीएम योगी पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर खास फोकस रखें हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि मंत्रिमंडल में हर वर्ग को खुश रखने का पूरा प्रयास किया गया.


पश्चिमी उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए उतना ही खास है जितना पूर्वांचल


योगी की पश्चिम में ये सेना 2024 के लिए भी मजबूत किलेबंदी करेगी.योगी मंत्रिमंडल में जैसे ही गन्ना मंत्री के रूप में चौधरी लक्ष्मीनारायण (Chaudhary Laxmi Narayan) के नाम की घोषणा हुई, तो ये तय हो गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश भी बीजेपी के लिए उतना ही खास है जितना पूर्वांचल. हालांकि ये पहले ही तय माना जा रहा था कि गन्ना मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग पश्चिमी उत्तर प्रदेश की झोली में डाला जाएगा और ऐसा हुआ भी.


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एक बात और साफ है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गठबंधन की विपरीत हवा के बावजूद जिस तरीके से जाट बीजेपी के साथ खड़े रहे, वो भी एक बड़ा फैक्टर रहा. जाट समाज से आने वाले कद्दावर नेता चौधरी लक्ष्मीनारायण सिंह को गन्ना मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग देकर उनका कद बढ़ाया गया.


2017 में गन्ना विभाग सुरेश राणा के पास था, लेकिन इस बार वो चुनाव हार गए, लेकिन गन्ना मंत्रालय फिर भी पश्चिम में ही रहा. पंचायती राज विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भूपेन्द्र चौधरी की ताजपोशी भी जाटों का भरोसा जीतने वाली है. यानी दो महत्वपूर्ण विभागों पर पश्चिम का कब्जा पश्चिम की मजबूत बढ़त का गवाह बन रहा है.


राजनीति की सबसे महत्वपूर्ण प्रयोगशाला कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर पश्चिम का कद बढ़ाने का काम किया है. गन्ना जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय पर चौधरी लक्ष्मीनारायण सिंह और पंचायती राज विभाग पर भूपेन्द्र चौधरी की ताजपौशी कर बीजेपी ने ये संदेश देने का काम किया है कि बीजेपी के लिए जाट भी खासमखास हैं और बीजेपी ही जाटों की सबसे बड़ी हितैषी है. 


पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बनाए गए हैं 23 मंत्री


यूं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 23 मंत्री बनाए गए हैं जो भी पश्चिम के लिए एक अच्छा संकेत है. बात मेरठ जिले की करते हैं. युवा विधायक सोमेन्द्र तोमर को ऊर्जा जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बिजली विभाग को सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है और बिजली विभाग में अभी करने के लिए बहुत कुछ है. हस्तिनापुर से दूसरी बात विधायक बने दिनेश खटीक को जलशक्ति मंत्रालय की कमान सौंपी गई है.


बागपत की बड़ौत विधानसभा से दूसरी बार चुनाव जीते केपी मलिक को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिया गया है जो पूर्व में बुलंदशहर के अनिल शर्मा के पास था. मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल को फिर से व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.


सहारनपुर में पांच विधायकों की जीत के इनाम के तौर पर जसवंत सैनी को संसदीय कार्य और ओद्यौगिक विकास मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया है, जबकि देवबंद से विधायक कुंवर ब्रजेश सिंह को लोक निर्माण विभाग राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई. गाजियाबाद के नरेन्द्र कश्यप को पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग दिया गया है. 


पश्चिमी उत्तर प्रदेश को शुगर बाउल भी कहा जाता है, इसलिए पश्चिम में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर बीजेपी ने मिठास के बीज बिखेरें हैं, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में पश्चिम में बीजेपी के लिए सियासत की लहलहाती फसल तैयार करेंगे.


बीजेपी ने हर नेता की क्षमता, उसकी उपयोगिता और उसके अनुभव को देखते हुए ही मंत्रालय सौंपा है.पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किलेबंदी में ये मंत्री अपनी अहम जिम्मेदारी भी निभाएंगे. कई सरकारों में भले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश को वो तवज्जो न मिली हो, लेकिन हां सीएम योगी राज में पश्चिम के नेताओं को अहम और महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलने के बाद उनका कद भी बढा है और रूतबा भी. यानी साफ है कि योगी मंत्रिमंडल की ये मजबूती 2024 लोकसभा चुनाव को पहले से भी ज्यादा मजबूती देने के इरादे से की गई है.


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