UP Politics: मिशन 2024 को लेकर बीजेपी ने तैयार किया मास्टर प्लान, इन जातियों का सर्वे कराएगी सरकार
UP Politics: अनिल राजभर ने कहा कि वनटांगिया, मुसहर, भर समेत अन्य विमुक्त जातियों का सर्वे कराया जाएगा, जिसमें देखा जाएगा कि उन्हें जिन योजनाओं का लाभ मिल रहा है, उसके अलावा किससे जोड़ा जा सकता है.
UP Politics: योगी सरकार प्रदेश में वनटांगिया, मुसहर, भर समेत अन्य विमुक्त जातियों का सर्वे कराएगी. सर्वे में देखा जाएगा कि अभी उन्हें जिन योजनाओं का लाभ मिल रहा है, उसके अलावा और कौन सी योजनाओं से जोड़ा जा सकता है. मिशन 2024 के लिहाज से ये सरकार का बड़ा फैसला है. इस काम की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को सौंपी गई है. अनिल राजभर ने एबीपी गंगा से खास बातचीत में बताया कि अति पिछड़ी जातियों, जनजातियों को लक्षित करके एक सर्वे कराने का फैसला लिया गया है इनमें वनवासी, वनटांगिया, राजभर, केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद, गोंड समेत विमुक्ति जाति में शामिल अन्य जातियां और उपजातियां शामिल हैं.
कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि इनका सर्वे कराया जाएगा. इनके लिए जो योजनाएं चल रही हैं वो चलती रहेंगी. उनके लिए अलग से क्या प्लान कर सकते, अलग से कौन सी योजना लेकर आएं जिससे उनकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आए, वो विकास की मुख्यधारा से जुड़े इस पर काम होगा. इस उद्देश्य को लेकर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं, उसको धरातल पर लेकर जाएंगे.
जल्द शुरू होगा इन जातियों का सर्वे
अनिल राजभर ने बताया कि इसके लिए कमेटियों का गठन करेंगे और सर्वेक्षण को जल्द पूरा करेंगे. जिन जातियों की बात कर रहे उनकी बहुत बड़ी आबादी है. प्रदेश की कुल आबादी का करीब 7 से 8 फीसदी है. इस पर निरंतर काम कर रहे हैं. अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं कि जल्दबाजी में कोई हिस्सा छूट ना जाए, सर्वे पर कोई सवाल न उठे. इनकी जनसंख्या ढाई करोड़ से अधिक होगी. जैसे पूरे पूर्वांचल में राजभर, केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद समाज भरा है. पश्चिम की तमाम छोटी-छोटी जातियां शामिल है.
अब आपको बताते हैं कि आखिर क्या हैं विमुक्त जातियां. मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि 1871 में जिन जातियों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट बनाकर पाबंद किया वो सब इसमें आती हैं. आज़ादी के बाद 1952 में सरदार पटेल ने पहल की और क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट से मुक्ति मिली, इसलिए इन्हें विमुक्ति कहा गया. इनकी बहुत बड़ी आबादी है. यह वह जातियां है जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेने का काम किया, देश की आजादी में जिन का बहुत बड़ा योगदान है. सीएम योगी के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने एक बहुत बड़ा विषय उठाया है.
विमुक्त जातियों में आते हैं ये समुदाय
विमुक्त जाति के उन समुदायों की सूची जो स्थाई रूप से एक ही स्थान पर रहते हैं. इनमें अहेरिया (बहेलिया), बदक, बंजारा, परवार, बेड़िया, बावरिया, भर, बोरिगा, दकेरे, कहार, डोम, गंडीला, घोसी हिन्दू, गजर, हबूड़ा, कंजर, केवट, खटीक, लोध, मल्लाह, मेवाली, मुसहर (बनमानुष), नट, पलवर (दुषाध), पासी, सांसिया, लगाभाट, औधिया, भातू, पीधिया, परवल शामिल हैं.
विमुक्त जाति वे समुदाय जो घूमते फिरते रहते हैं इनमें, पढ़क, खुरपलटा, मोंगिया (मोंग), कजड़ या कुजबंधिया, सिगीवाला, औघड़, बैरिया, वैद, भाट, चमरमगता, जोगी, कपड़िया, महावत (लुंगी पठान), कुलन्दर फकीर, नट अथवा करनाटक, करबल, बावरिया, बासी, हबूडा, डोम, खटिक, बंजारा, बहेलिया, गोदावर, बरवार, भुर्जी, सेपरा (सपेरिया), सिंगलीगार, बेलदार, मदारी, कंकाली, बृजवासी, जोगा, किंगिरिया, भतरी, कुरमंगिया (हिन्दू महावत), कनमैलिया, गोसाई, लोना चमार और घोशियान हैं.
अखिलेश यादव के पूर्वांचल दौरे पर कसा तंज
एबीपी गंगा से बात करते हुए अनिल राजभर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पूर्वांचल दौरे पर भी निशाना साधा और कहा कि आज यूपी की राजधानी लखनऊ में देश विदेश से निवेशक आ रहे हैं. एक उभरता हुआ उत्तर प्रदेश प्रस्तुत हो रहा है वह उन लोगों को अच्छा नहीं लग रहा. कैसे खबर पर बने रहे इसलिए वाराणसी जाएंगे. इस समय इन्हें लखनऊ अच्छा नहीं लग रहा होगा जिस तरह से निवेशक आ रहे है उनका समर्थन मिल रहा है. 25 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट आने की उम्मीद हो गई है. उन्हें कैसे अच्छा लगेगा जो विकास पर बात नहीं करना चाहते, इसलिए राजधानी छोड़कर के भाग रहे है.
अनिल राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव-शिवपाल यादव तो मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं. उनके परिवार की बात है, बहुत टिप्पणी करना उचित नहीं, लेकिन यह कौन सी नई बात है, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. जनता परिवारवाद की राजनीति को बहुत अच्छे तरीके से समझती है, परखती है और जान चुकी है. शिवपाल को जिम्मेदारी देने पर कहा कि उनको तो यही करना था, अपने परिवार से बाहर नही निकल सकते हैं.
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