लखनऊ, अनुभव शुक्ला। कोरोना संक्रमण काल के चलते जब लॉकडाउन घोषित किया गया तो इसका सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ा. उत्तर प्रदेश सरकार का अप्रैल महीने की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य 19000 करोड़ का था, लेकिन मिले महज 200 करोड़ रुपए और उसके बाद सरकार ने कई मदों में कटौती की. इनमें से एक फैसला उत्तर प्रदेश के 16 लाख राज्य कर्मचारियों से सीधा जुड़ा था, जिसमें सरकार ने राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों को 31 मार्च 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया था. हालांकि, सरकार के इस फैसले का राज्य कर्मचारी संगठनों ने जमकर विरोध किया था.


अब सूत्रों की मानें तो योगी सरकार ने एक बार फिर राज्य कर्मचारियों को तगड़ा झटका दिया है. कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए जिन छह भत्तों को पहले स्थगित किया था उन्हें खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. इनमें नगर प्रतिकर भत्ता, सचिवालय भत्ता, जूनियर इंजीनियर को मिलने वाला विशेष भत्ता, पीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों के भत्ते, सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के भत्ते और पुलिस की क्राइम ब्रांच और अन्य जांच एजेंसियों को मिलने वाले अनुमन्य भत्ते शामिल हैं.



सरकार के इस फैसले का सीधा असर प्रदेश के 16 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा. इन छह प्रकार के भत्तों को खत्म करने से एक अनुमान के मुताबिक सरकार को 1 साल में तकरीबन 1500 करोड़ की बचत होगी।


बता दें कि, नगर प्रतिकर भत्ता एक लाख तक या उससे अधिक आबादी वाले नगरों में तैनात सभी राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों को दिया जाता है. यह शहरों की श्रेणियों के हिसाब से होता है इसमें कर्मचारी को ढाई सौ रुपये से लेकर 900 रुपये प्रति माह तक का भत्ता दिया जाता है.



हालांकि, कोरोना काल में जब राजस्व की भारी क्षति हुई उसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 लाख राज्य कर्मचारियों और 12 लाख पेंशन धारियों को उनका पैसा समय से पहले दिया और संकट की इस घड़ी में यह एक बड़ी राहत सरकारी कर्मचारियों के लिए रही.