UP News: बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिलों के लिए योगी सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश में बाढ़ से प्रभावित होनेवाले जिलों की संख्या 22 है. जुलाई ,अगस्त और सितंबर के महीनों में बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिलों के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. घाघरा, सरयू, राप्ती और शारदा नदियों के बेसिन में बसे 2412 गांवों के लिए 804 इंफ्लेटेबल बोट्स की खरीदारी की जाएगी. खरीदारी पर योगी सरकार 80.40 करोड़ की धनराशि खर्च करेगी. आयुक्त कार्यालय जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू कर सकता है. सबसे बड़ी बात है कि इंफ्लेटेबल बोट्स का संचालन स्थानीय लोग करेंगे. 


बाढ़ पूर्व तैयारियों में योगी सरकार


स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन होगा. एवज में योगी सरकार पारिश्रमिक देगी. राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि बाढ़ और जल भराव की सैटेलाइट से पूरे प्रदेश की गहन मैपिंग कराई गई. पाया गया कि प्रदेश में घाघरा, सरयू, राप्ती और शारदा नदियों के बेसिन में बसे 2412 गांव अधिकतर बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. बेसिन के भूभाग को चिह्नित कर लिया गया है. 


इंफ्लेटेबल बोट्स की होगी खरीद


घाघरा, सरयू, राप्ती और शारदा नदियों के बेसिन में बसे गांवों को 10 से 7 साल में प्रति वर्ष बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ा. मैपिंग में पाया गया कि 15 सौ किलोमीटर का क्षेत्रफल बाढ़ की आशंका से घिरा रहता है. इसलिए गांवों में बाढ़ से निपटने के लिए पहले से तैयारी करना जरूरी है. उन्होंने जनहानि को न्यूनतम करने की जरूरत बताई.  करीब तीन गांवों के बीच इंफ्लेटेबल एक बोट्स की जरूरत महसूस की गई.


स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मैपिंग से अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि बाढ़ से प्रभावित 22 जिलों की समस्या को ध्यान में रखते हुए बोट्स की खरीदारी पर मुहर लग गई. इंफ्लेटेबल बोट्स की खरीद प्रक्रिया को दो चरणों में पूरा किया जाएगा. पहले चरण में 6 जिलों बलिया, बलरामपुर, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर और भदोही के लिए 400 बोट्स खरीदी जाएंगी. दूसरे चरण में शेष 16 जिलों के लिए 404 बोट्स की खरीद होगी.


बोट्स की खरीद करनेवाली समिति में एसडीआरएफ के एक अधिकारी को तकनीकी सदस्य बनाकर नामित किया जाएगा. बोट्स की खरीद के लिए स्पेसिफिकेशन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कोस्ट गार्ड और एनडीआरएफ से प्राप्त किए जाएंगे. बोट्स की देखभाल का जिम्मा संबंधित लेखपाल को सौंपा जाएगा. लेखपाल टीन के बॉक्स में रेस्क्यू ऑपेशन की सामग्री सुरक्षित रखेंगे. बॉक्स को पंचायत भवन और अन्य स्थानीय शासकीय भवन में रखा जाएगा.


देखभाल की जिम्मेदारी एएमसी की होगी. बाढ़ के स्थानीय लोगों को बोट्स चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. अक्सर देखने में आता है कि बाढ़ से निपटने के लिए स्थानीय लोग एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में टीम के इन इलाकों में पहुंचने से पहले काफी नुकसान हो जाता है.


स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देने का फैसला लिया गया है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और कोस्ट गार्ड की टीम बोट्स संचालन की ट्रेनिंग देगी. आपदा मित्रों को बाढ़ के दौरान बोट्स संचालन पर श्रम विभाग दैनिक मानदेय दिय देगा. 


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