UP Liquor Shop Time on New Year: उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में लोग शिद्दत से 'क्रिसमस' और 'नए साल' का इंतजार कर रहे हैं. इन दोनों खास पर्व के सेलिब्रेशन की लोगों ने अभी से प्लानिंग शुरू कर दी है. इसकी वजह ये है कि 'क्रिसमस' के त्योहार में जहां महज 10 दिन बाकी हैं तो दूसरी तरफ साल 2025 शुरू होने में लगभग दो हफ्ते का समय है.
'क्रिसमस' और 'नए साल' के पर्व और यादगार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. यूपी आबकारी विभाग ने इन दोनों पर्व पर शराबी की दुकानों के बंद करने का समय बढ़ाने फैसला किया है. इस संबंध में प्रदेश आबकारी विभाग के सचिव डॉ आदर्श सिंह ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है.
एक घंटे ज्यादा खुलेंगी शराब की दुकानें
जारी आदेश में विशेष पर्व पर आबकारी की सभी फुटकर दुकानों पर शराब की खरीद के समय को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. आबकारी विभाग ने ये आदेश राजस्व हित में दिया है. इसके तहत क्रिसमस के उत्सव से एक दिन पहले यानी 24 दिसंबर और 25 दिसंबर को शराब की दुकानें रात 11 बजे तक खुली रहेंगी.
31 दिसंबर को भी रात 11 बजे तक खुली रहेंगी शराब की दुकानें
इसी तरह नव वर्ष के खास मौके पर शराब की दुकानें 31 दिसंबर को भी रात 11 बजे तक खुली रहेंगी. अभी तक शराब की दुकानों के बंद होने का समय रात 10 बजे हैं. आदेश में कहा गया है कि क्रिसमस और नए साल के मौके पर शराब की दुकानें सुबह 10 बजे से रात 11 बजे तक खुली रहेंगी यानी पहले के मुकाबले एक घंटे शराब की दुकानें अधिक खुली रहेंगी.
बड़ा राजस्व हासिल करने की है मंशा
द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक, साल 2023 में क्रिसमस और नए साल पर पूरे देश में शराब की बिक्री पर 20 फीसदी का उछाल देखा गया था. अकेले गाजियाबाद में 2022 के मुकाबले 2023 में 14 फीसदी अधिक शराब का कारोबार हुआ. गाजियाबाद में 31 दिसंबर 2024 और 1 जनवरी 2024 के बीच नए साल पर 12.5 करोड़ की शराब बिकी थी. इसी तरह नोएडा में शराब से इस मौके पर 14.8 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था.
हालिया कुछ सालों में उत्तर प्रदेश शराब के शौकीनों के केंद्र के रुप में उभरा है. योगी सरकार ने क्रिसमस पर्व और नए साल के जश्न को भुनाने के लिए शराब की दुकानों के बंद करने के समय में एक घंटा इजाफा किया है. इसकी वजह यह है कि वित्त वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने सिर्फ शराब की बिक्री से 42 हजार 250 करोड़ का राजस्व हासिल किया था, जो यूपी में योगी सरकार के गठन के समय यानी 2017-18 में महज 14 हजार करोड़ रुपये था.
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