मदरसा एक्ट पर सुप्रीम झटके के बाद योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट की संवैधानिकता बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है. इस फैसले के बाद योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है.
UP Madarsa Act: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट की संवैधानिकता बरकरा रखी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस फैसले के बाद योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है. यूपी मदरसा एक्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि - देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले का हम सम्मान करते हैं. सत्ता पक्ष हों या विपक्ष हो न्यायालय के फैसले का सभी सम्मान करते हैं और हम भी सम्मान करते हैं.
योगी सरकार में मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का जो आज फैसला आया है, उसके अनुरूप न्यायालय ने जो भी दिशा-निर्देश दिए हैं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उसका पालन करेगी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हमेशा मदरसा शिक्षा की बेहतरी के लिए, मदरसा शिक्षा के माध्यम से जो मुस्लिम नौजवान हैं उन्हें अच्छी शिक्षा मिले इस नीयत से काम किया है... निश्चित तौर पर मदरसा शिक्षा की बेहतरी के लिए जो भी बातें आवश्यक होंगी, हमारी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उसका जरूर अनुसरण करेगी.'
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता बरकरार रखी और कहा कि यह धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता . सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज किया जिसमें उसने (हाईकोर्ट ने) उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को खारिज कर दिया था और राज्य से विद्यार्थियों को अन्य विद्यालयों में भर्ती करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था देकर गलती की कि मूल ढांचे यानी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के कारण उत्तर प्रदेश मदरसा कानून को खारिज करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की विधायी योजना मदरसों में दी जा रही शिक्षा के स्तर के मानकीकरण के लिए है.
यूपी में मदरसों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AIMPLB की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को 'असंवैधानिक' घोषित कर दिया था. जज जस्टिस विवेक चौधरी और जज जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कानून को अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को एक योजना बनाने का निर्देश दिया था ताकि मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित किया जा सके.यह आदेश अंशुमान सिंह राठौड़ द्वारा दायर एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें यूपी मदरसा बोर्ड की शक्तियों को चुनौती दी गई थी.