बलिया, एबीपी गंगा। बलिया के अनाज घोटाला मामले में योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने तीन पूर्व मुख्य विकास अधिकारियों (सीडीओ) के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी है। 13 साल पुराने अनाज घोटाले में राममूर्ति वर्मा, अश्विनी श्रीवास्तव और दीनानाथ पटवा के खिलाफ केस चलेगा। तीनों अधिकारियो पर बलिया में गरीबों के हिस्से का अनाज राशन माफियाओं को बेचने का आरोप है। ये अधिकारी साल 2004 से 2005 के बीच बलिया में तैनात रहे थे। आर्थिक अपराध शाखा की जांच में बलिया के बाद अब जौनपुर के खाद्यान्न घोटाले में शामिल अफसरों के खिलाफ भी अभियोजन स्वीकृति का इंतजार है।


बता दें साल 2000 से 2005 के बीच सरकार के द्वारा भेजे गए गरीबों के खाद्यान्न को इन अफसरों ने मिलकर राशन माफियाओं के हाथों बेच दिया। बताया जा रहा है कि 5 सालों में 20 करोड़ से अधिक का खाद्यान्न अफसरों की मिलीभगत से राशन माफियाओं के हाथों बेचा गया और गरीब इससे वंचित रखे गए। इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 2013 में एक आईएएस और 13 पीसीएस अफसरों के खिलाफ 43 मुकदमे दर्ज कराए, जिसमें ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान से लेकर तमाम लोग नामजद किए गए। इस पूरे घोटाले में मुख्य तौर पर शामिल पांच लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने शासन से अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी। जिसमें बलिया में तैनात रहे तीन सीडीओ के अलावा बलिया में तैनात रहे एक डीएम और जिला पंचायत अध्यक्ष के नाम शामिल थे।


शासन ने इस मामले में रिटायर हो चुके तीनों मुख्य विकास अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। अभी एक आईएस और तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ स्वीकृति मिलना बाकी है। बलिया के घोटाले के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने जौनपुर में भी हुए 2004 से 2008 के बीच खाद्यान्न घोटाले में अभियोजन स्वीकृति मांगी है।