लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में लगातार लव जिहाद के मामले सामने आए हैं. चाहे कानपुर हो, आगरा हो, मेरठ हो लगातार ऐसे मामले सामने आने के बाद अब प्रदेश सरकार इस तैयारी में है कि यूपी में धर्म परिवर्तन को लेकर एक ऑर्डिनेंस लाया जाए. इसके लिए न्याय विभाग को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है. अगर ऑर्डिनेंस आता है तो यूपी देश का 9वां ऐसा राज्य होगा जहां धर्मांतरण पर अलग से कानून होगा.
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश का चाहे कानपुर जिला हो, मेरठ हो, हरदोई हो या फिर आगरा हो, लव जिहाद के मामले लगातार सामने आए हैं. पहले लड़के छद्म नाम रखकर लड़कियों को फंसाते हैं और फिर उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालते हैं. इन मामलों का जिक्र संघ प्रमुख मोहन भागवत के यूपी प्रवास के दौरान भी हुआ. कानपुर में तो मोहन भागवत ने लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर चिंता भी जाहिर की थी और संघ के पदाधिकारियों को यह निर्देश भी दिए थे कि वह घर घर जाकर इस पर जन जागरण अभियान भी चलाएं. बढ़ते मामलों को लेकर अब प्रदेश सरकार की चिंता भी सामने आई है. यही वजह है कि यूपी में धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक नया ऑर्डिनेंस लाने के लिए सरकार ने तैयारी कर ली है.
8 राज्य ऐसे हैं जहां धर्म परिवर्तन पर अलग से कानून है
बाकायदा न्याय विभाग को इस पर एक प्रस्ताव बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. देश के 8 राज्य ऐसे हैं जहां धर्म परिवर्तन पर अलग से कानून है. हालांकि यूपी उनमें शामिल नहीं है. अब न्याय विभाग इन राज्यों में धर्म परिवर्तन पर जो कानून हैं उनके नियमों को देखेगा और उसके हिसाब से यह प्रस्ताव तैयार कर शासन को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि लगातार जिस तरह से लव जिहाद के नाम पर धर्म परिवर्तन के मामले बढ़े हैं वह वाकई चिंता की बात है और ऐसे में सरकार का यह कदम सराहनीय है.
देश के अभी जिन आठ राज्यों में धर्म परिवर्तन पर अलग से कानून है उनमें अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा गुजरात और यहां तक कि उत्तराखंड भी शामिल है. ऐसे में उत्तर प्रदेश अगर इस ऑर्डिनेंस को लागू करता है तो वह देश का 9वां राज्य होगा जहां धर्मांतरण के विरुद्ध कोई कानून अलग से होगा. इस पर हालांकि कांग्रेस का कहना है कि अभी प्रदेश को ऐसे किसी अध्यादेश की जरूरत नहीं है बल्कि प्रदेश में अभी बेरोजगारी की समस्या है, कानून व्यवस्था की स्थिति दुरुस्त करने की जरूरत है, रोजगार बंद हो रहे हैं उससे निपटने की जरूरत पहले हैं.
हालांकि अभी इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है क्योंकि पहले इसका एक प्रस्ताव तैयार होगा और उसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा. शासन से जब मंजूरी मिलेगी तब इसे कैबिनेट में लाया जाएगा. लेकिन इतना जरूर है कि ऐसा कानून आने के बाद इस तरह के मामलों पर रोक लगेगी.
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