प्रयागराज, एबीपी गंगा। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ राजधानी लखनऊ में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने को लेकर यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट से कुछ और दिन की मोहलत मांगी है। सरकार की तरफ से एक हलफनामा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दिया गया, जिसमें मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और मोहलत दिए जाने की बात कही गई।


यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल नीरज त्रिपाठी ने रजिस्ट्रार जनरल के पास हलफनामा दाखिल किया। हलफनामे में कहा गया कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी नहीं आ सका है, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा सका है। अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक का वक्त दिए जाने की मोहलत चाहती है। रजिस्ट्रार जनरल अब यूपी सरकार के इस हलफनामे को मामले पर फैसला सुनाने वाली चीफ जस्टिस की अगुआई वाली डिवीजन बेंच को सौंपेंगे। डिवीजन बेंच ही इस मामले में कोई फैसला लेगी।


गौरतलब है कि लखनऊ में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुओ मोटो लेते हुए सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने पोस्टर लगाए जाने को गलत मानते हुए इसे हटाए जाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और डीएम को पोस्टरों को हटाए जाने को कहा था और साथ ही डीएम को आदेश के अनुपालन की कार्यवाही रिपोर्ट 16 मार्च को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का आदेश दिया था।


हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को कोई फौरी राहत नहीं मिली है और मामला बड़ी बेंच को रेफर हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बावजूद लखनऊ में लगे पोस्टर अभी तक हटाए नहीं गए। ऐसे में यूपी सरकार ने आज अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की और इसे दाखिल करने के लिए और मोहलत दिए जाने की मांग की।