UP News: 115 साल पुराने कानून को बदलने की तैयारी में योगी सरकार, इस विभाग से हटेंगे उर्दू-फारसी के शब्द
UP Registry Language: इस समय मौजूदा पीढ़ी उर्दू फारसी के जटिल शब्दों को समझने में काफी परेशानियों का सामना कर रही है. आज के समय में अधिकतर लोग हिंदी और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
![UP News: 115 साल पुराने कानून को बदलने की तैयारी में योगी सरकार, इस विभाग से हटेंगे उर्दू-फारसी के शब्द Yogi Government to change 115 year old law language of registry easier after removing Urdu and Persian words ANN UP News: 115 साल पुराने कानून को बदलने की तैयारी में योगी सरकार, इस विभाग से हटेंगे उर्दू-फारसी के शब्द](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/09/97aa1c0f9094ca5b266754e3d4eac9181702136742072211_original.avif?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
UP News: उत्तर प्रदेश में 115 साल पुराना कानून बदलने जा रहा है. योगी सरकार ने रजिस्ट्री दस्तावेजों से उर्दू-फारसी शब्दों को हटाने का फैसला लिया है. रजिस्ट्री में उर्दू-फारसी की जगह हिंदी भाषा लेगी. स्टांप एवं पंजीकरण विभाग 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन चलता है. दावा किया जा रहा है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन के बाद रजिस्ट्री की भाषा आसान हो जाएगी. नए नियम से स्टांप और पंजीकरण विभाग में नियुक्ति के लिए अब उर्दू फारसी की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता भी समाप्त होगी.
आसान होगी रजिस्ट्री की भाषा
रजिस्ट्रेशन एक्ट में उर्दू फारसी भाषा के इस्तेमाल को ज्यादा बढ़ावा दिया गया था. स्टांप एवं पंजीकरण विभाग में सब रजिस्ट्रार की नियुक्ति लोक सेवा आयोग से होती थी. लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के बाद सब रजिस्ट्रार को उर्दू इमला की भी एक परीक्षा पास करनी होती थी. सब रजिस्ट्रार को उर्दू के शब्दों को लिखना, बोलना, सही अनुवाद करना और सही व्याकरण के साथ समझना अनिवार्य होता था. उर्दू इमला की परीक्षा पास किए बिना सब रजिस्टार की नौकरी को स्थाई नहीं माना जाता था.
योगी सरकार का बड़ा फैसला
सब रजिस्ट्रार का प्रोबेशन पीरियड भी दो साल का होता था. मौजूदा समय में उर्दू फारसी शब्दों से अलग हिंदी और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल होने लगा है. धीरे-धीरे उर्दू और फारसी के शब्दों की समझ नई पीढ़ी में खत्म होते देख सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अब बदलाव होने वाला है. स्टांप एवं पंजीयन शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि मौजूदा पीढ़ी उर्दू फारसी के जटिल शब्दों को समझने में काफी दुश्वारियों का सामना कर रही है. आज के समय में अधिकतर लोग हिंदी और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस कानून को बदलने की तैयारी
उर्दू इमला की परीक्षा पास किए बिना सब रजिस्ट्रार की मुश्किलें बढ़ती जा रही थी. अब कंप्यूटर के ज्ञान की परीक्षा महत्वपूर्ण हो गई है. लिहाजा उर्दू इमला की परीक्षा को हटाकर कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा करने का निर्णय लिया जाना है. बदलाव सका असर रजिस्ट्री में भी दिखेगा और सामान्य कामकाज में हिंदी का आधिकाधिक इस्तेमाल होगा. रजिस्ट्रेशन एक्ट में भी बदलाव किया जाएगा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की भाषा सरल होने से आम आदमी समझ, पढ़ और इस्तेमाल कर सकेगा. इसलिए बदलाव करने का फैसला लिया गया है.
इन शब्दों का होता था इस्तेमाल
बैनामा (विक्रय पत्र), वल्दियत ( पिता का नाम) , वल्द (पिता), रकबा ( क्षेत्रफल ), तरमीम (बदल देना), सकूनत ( निवास), जोजे( पत्नी), वारिसान (उत्तराधिकारी), रहन (गिरवी), बयशुदा (खरीदी), बैय (जमीन बेचना ), मिनजानिब (की ओर से), दुख्तर (बेटी ), कौमियत (जाति ), शामलात (साझी भूमि), राहिन (गिरवी देने वाला), बाया (जमीन बेचने वाला), वाहिब (उपहार देने वाला), मोहबइला (उपहार लेने वाला) आदि जैसे शब्द अब तक इस्तेमाल होते आ रहे हैं.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)