(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
योगी सरकार का बड़ा फैसला, शहीदों के परिवारों को अब मिलेगी 50 लाख की आर्थिक सहायता
योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि को दोगुना कर दिया है. अब यूपी के किसी जवान के शहीद होने पर योगी सरकार उनके परिजनों को 50 लाख की सहायता राशि देगी.
लखनऊ: यूपी कैबिनेट की बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया है. प्रदेश सरकार ने भारतीय सेना के शहीद परिवारों को मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि को डबल कर दिया है. सरकार के इस फैसले के बाद अब यूपी का कोई भी जवान शहीद होता है, तो उसके परिजनों को 25 लाख की बजाय 50 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि अभी तक राज्य के मूल निवासी जो केंद्रीय अर्धसैनिक बल में, थल सेना, वायु सेना या फिर नौसेना में शहीद होते थे. अभी तक उन जवानों के शहीद होने पर उनके परिवार को 25 लाख रुपये की धनराशि दी जाती थी, लेकिन आज ये निर्णय लिया गया है कि अब शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इसमें से 35 लाख रुपये उनकी पत्नी और उनके बच्चों को दी जाएगी. बाकी 15 लाख रुपये की राशि उनके माता-पिता को दी जाएगी. इस आदेश को 1 अप्रैल 2020 से लागू कर दिया गया है.
कामगार व श्रमिकों के लिए आयोग के गठन को हरी झंडी
इसके साथ ही कैबिनेट में कामगार व श्रमिकों के लिए आयोग के गठन को ही हरी झंडी दिखाई गई. ये अयोग सभी श्रमिक व कामगारों के हितों की रक्षा करेगा और उनको आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा. सरकार के इस फैसले के बाद अब श्रमिकों व कामगारों को प्रदेश के अंदर ही कौशल विकास कर रोजगार के सुलभ अवसर उपलब्ध हो सकेंगे. माना जा रहा है कि इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. इसकी जानकारी देते हुए प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि देश के किसी भी राज्य ने श्रमिकों व कामगारों के बारे में ऐसा नहीं सोचा. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने तय किया था कि प्रदेश सरकार सभी श्रमिकों व कामगारों फिर चाहें वो प्रवासी हों या फिर निवासी, प्रदेश सरकार सभी के हितों का संरक्षण करेगी. इसी के तहत राज्य मंत्रिपरिषद ने प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग के गठन के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई है.
मुख्यमंत्री होंगे बोर्ड के अध्यक्ष
उन्होंने ये भी बताया कि प्रदेश स्तर पर बनने वाले बोर्ड के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होंगे. आयोग के अंतर्गत कार्यकारी परिषद या बोर्ड बनेगा. जिला स्तरीय एक समिति भी बनेगी, जो कि श्रमिकों व कामगारों के हितों की रक्षा करेगी. इसके अलावा श्रम एवं सेवायोजन मंत्री संयोजक होंगे. औद्योगिक विकास मंत्री एवं एमएसएमई मंत्री अयोग के उपाध्यक्ष होंगे. कृषि मंत्री, ग्राम विकास मंत्री, पंचायत राज मंत्री और नगर विकास मंत्री भी आयोग के सदस्य होंगे.
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