नोएडा, एजेंसी। जेवर हवाईअड्डे को विकसित करने का ठेका स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल को दिया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यह दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा जो तैयार होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा हवाईअड्डा होगा। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि स्विट्जरलैंड की कंपनी ने राजस्व में हिस्सेदारी के मामले में प्रति यात्री सबसे ऊंची बोली लगायी है। इसके लिए जारी अंतराष्ट्रीय निविदा में इस कंपनी ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल), अडाणी एंटरप्राइजेज और एंकरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड जैसी कंपनी को पीछे छोड़ दिया।




राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह तीसरा हवाईअड्डा होगा जिसे पूरी तरह से नए सिरे से विकसित किया जाएगा। इससे पहले इस क्षेत्र में दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और गाजियाबाद में हिंडन हवाईअड्डा मौजूद है।

प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने कहा कि जेवर हवाईअड्डा या नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जब पूरी तरह विकसित हो जाएगा तो यह 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा। इसकी अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपये आंकी गयी है। उन्होंने कहा,‘‘ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने इसके लिए सबसे ऊंची बोली लगायी थी।’’

बुधवार को घोषणा की गयी थी कि प्रस्तावित हवाईअड्डे के विकास के लिए चार कंनियों की बोली को तकनीकी आधार पर सही पाया गया है। भाटिया ने बताया कि शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) के दफ्तर में चारों कंपनियों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में बोलियां खोली गयीं। उन्होंने कहा कि चारों में कंपनियों में से एक को ठेका देने के लिए राजस्व में प्रति यात्री सबसे अधिक हिस्सेदारी देने को आधार बनाया गया।