लखनऊ: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को लेकर आखिर साधु-संतों में आक्रोश क्यों है? आखिर ऐसा क्या हुआ कि लंबे संघर्ष के बाद जब साधु संतों की राम मंदिर निर्माण की इच्छा पूर्ण हो रही है, फिर भी उनके मन में असंतोष है? हमने इसी का जवाब तलाशने के लिए उन साधु-संतों से बात की जो लगातार चंपत राय को लेकर अपना विरोध जता रहे हैं. यही नहीं चंपत राय को ट्रस्ट से हटाने के साथ-साथ उनके अयोध्या छोड़ने तक की मांग की जा रही है.


अयोध्या के साधु संत चंपत राय के उद्धव ठाकरे का विरोध करने पर दिए बयान को लेकर आक्रोशित होने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि चंपत राय ने अयोध्या की माताओं का ही अपमान नहीं किया है बल्कि कौशल्या माता के दूध का भी अपमान किया है और ऐसे व्यक्ति को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में नहीं रहना चाहिए. लेकिन यही असली वजह नहीं है बल्कि हम यह कह सकते हैं कि चंपत राय ने विवादित बयान देकर पहले से नाराज साधु संतों को अपने खिलाफ मुखर होने का मौका दे दिया है.


श्री महंत निर्वाणी अनि अखाड़ा ने कहा कि साधु समाज इसलिए विरोध कर रहा है कि अयोध्या के साधु संतों से लेकर के गृहस्थ तक को कहा कि किसी की मां ने दूध नहीं पिलाया है. उद्धव ठाकरे के लिए किसी की मां ने दूध नहीं पिलाया है तो हम कहते हैं ऐसे व्यक्ति को जल्दी से जल्दी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से निकाला जाए और अयोध्या में यह कभी दिखाई न पड़े. क्योंकि अयोध्या की जनता इनसे नफरत करती है और चाहती है कि यह कब चले जाए. इसलिए राम जन्मभूमि मंदिर में बहुत शुद्ध और पवित्र मन मस्तिष्क वाले व्यक्ति को ट्रस्ट में रखना चाहिए. राम जन्मभूमि ट्रस्ट में चंपत राय जैसे व्यक्ति की कोई जरूरत नहीं है. संत समाज ने विरोध किया है अयोध्या के गृहस्थ हो या संत समाज हो सभी ने विरोध किया है और सभी लोगों की राय है कि चंपत राय जैसे व्यक्ति को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में नहीं रहना चाहिए. यह शुद्ध आर्य समाज विचारधारा के व्यक्ति हैं. यह राम जन्मभूमि मंदिर के महत्व को नहीं समझ रहे हैं. अयोध्या में किसी की मां ने इतना दूध नहीं पिलाया है कि उद्धव ठाकरे का मुकाबला करें. ऐसा बोलने की क्या जरूरत थी, इसलिए अयोध्यावासी इनसे नफरत करता है और यह जल्दी से जल्दी अयोध्या को छोड़ें.


दिलीप दास (महंत खंडेश्वरी मंदिर) ने कहा कि संत समाज चंपत राय जी का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि उनका एक अमर्यादित बयान आया है और उन्होंने अयोध्या की धरती को चुनौती दी है कि अयोध्या में कोई ऐसा जन्म नहीं लिया है और किसी की मां ने इतना दूध नहीं पिलाया है कि जो उद्धव ठाकरे को रोक सके. बात उद्धव ठाकरे को रोकने की नहीं है चंपत राय जी. राष्ट्रीय ट्रस्ट के सम्मानित पदाधिकारी हैं, महासचिव हैं, उनको इस तरह के अमर्यादित बयानों पर रोक लगानी चाहिए. ऐसा अमर्यादित शब्द नहीं बोलना चाहिए. यही विश्व हिंदू परिषद है. यही चंपत राय हैं जब उद्धव ठाकरे राम मंदिर के समर्थन में आ रहे थे तो इन लोगों ने विरोध किया था. इन्होंने ही आरोप लगाया था कि पालघर में संतों की निर्मम हत्या हुई उसमें पुलिस वाले दिखाई पड़ रहे हैं. इसके बावजूद अपराधियों पर उद्धव ठाकरे कुछ नहीं कर रहे हैं. इसलिए संतो के अंदर उनके प्रति रोष है, इसलिए कुछ संतो ने कहा था की उद्धव ठाकरे आएंगे तो उनका विरोध किया जाएगा. लेकिन चंपत राय ने कहा कि किसी की मां ने दूध नहीं पिलाया जो उद्धव ठाकरे को रोक सके इसलिए संतों का विरोध है क्योंकि उन्होंने राम की जननी का राम जन्मभूमि का और कौशल्या के दूध का अपमान किया है. इसीलिए उनका विरोध किया जा रहा है. उन्होंने अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया है इसके लिए उन्हें अयोध्या वासियो से और राम भक्तो से क्षमा मांगनी चाहिए.


चंपत राय के खिलाफ पहले से नाराज साधु-संतों का अब मुखर हो जाना भले ही उनके विवादित बयान के कारण हो, लेकिन इसके पीछे की सबसे मुख्य वजह अयोध्या के उन साधु-संतों को पर्याप्त सम्मान नहीं मिलना है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए थे. ऐसे लोगों को सबसे बड़ा मलाल यह है कि चंपत राय ना तो उनसे कोई राय मशवरा लेते हैं और ना ही राम मंदिर को लेकर किसी फैसले या बातचीत में शामिल करते हैं. उनको लगता है कि चम्पत राय पूरे ट्रस्ट पर काबिज होकर अपने मन मुताबिक फैसले करते हैं और जो उनके मन में आता है वह करते हैं. यही वजह है कि जिसके कारण पहले से नाराज साधु संत मुखर हो गए हैं. हालांकि सूत्रों की मानें तो यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने ऐसे साधु संतों को इस तरह का विरोध न करने को लेकर आग्रह भिजवा दिया है और जिले के दो शीर्ष अफसरों ने उनका यह संदेश विरोध करने वाले प्रमुख साधु संतों तक पहुंचा दिया है.


महंत राजू दास (महंत हनुमान गढ़ी) ने कहा कि अयोध्या में साधु संतों की तरफ से माननीय चंपत राय जी के विरोध का एक ही कारण है. संगठन का कोई विरोध नहीं संगठन ने तो लगातार साधु संतों को हिंदू जनमानस को एकत्रित करके भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण कार्य में पूरी ताकत लगाई, जिसके बल पर आज हम लोग राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य देख रहे हैं. लेकिन इस तरह का संतो के मन में भाव आ जाना. इसका कारण है कि जिन संतों ने सहयोग किया, संघर्ष किया, बलिदान दिया, विश्व हिंदू परिषद के मंच के साथ आकर हुंकार लगाया, ऐसे साधु-संतों को भूल जाना किसी प्रकार की संतो से चर्चा ना करना, जो भी करना होता है बीएचपी के सबसे बड़े अधिकारी चंपत राय ही करते हैं और कोई नहीं करता है. इस के नाते संतो के मन में रोष है. जिसमें माननीय चंपत राय जी ने अयोध्या की धरती को अयोध्या की माताओं को जिस तरह से ललकारा किसके लिए, ऐसे लोगों के लिए जो लोग कहा करते थे कि पहले मंदिर फिर सरकार. भगवा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देंगे और जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद ध्वस्त किया और कहा की हमने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया ऐसे लोगों के जो बच्चे हैं आज उनका भाव क्या है. आज मैं टीवी चैनल के डिबेट में था उनके लोगों ने कहा तुम गांजा पीने वाले लोग हो, इस प्रकार से अपमानित महाराष्ट्र में पालघर में संतों की निर्मम हत्या होती है, उसमें इनका क्या भाव है. लगातार समाज विरोधी देश विरोधी उनका भाव है. ऐसे लोगों का पक्ष लेकर और ऐसा भाव आना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं और निंदा भी करते हैं. यही भाव अयोध्या के साधु संतों के मन में है.