Bazpur News: उत्तराखंड के बाजपुर के 20 गांव के बहुचर्चित जमीन मुद्दे पर एतिहासिक फैसले के बाद आज बाजपुर के दर्जनों लोगों ने काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा के कार्यालय में पहुंच कर मिठाई बांटी और ख़ुशी का इजहार जताया. लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधायक चीमा को इस एतिहासिक कार्य के लिए धन्यवाद दिया.
बाजपुर के 20 गांव के बहुचर्चित जमीन मुद्दे पर डीएम उधमसिंह नगर की अदालत में अंतिम फैंसला लिया गया. डीएम रंजना राजगुरू ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैंसला सुनाते हुए लीज होल्डर लाला खुशीराम और श्याम स्वरूप भटनागर के वंशजों की जमीन पर रोक को बरकरार रखा है लेकिन उन्होंने अन्य भूमि पीड़ितों की जमीनों पर लगी रोक को पूरी तरह से हटाते हुए इससे संबंधित आदेशों को खारिज कर दिया है. डीएम के इस एतिहासिक फैसले के बाद क्षेत्र की जनता में उत्साह है.
क्या था मामला?
साल 2020 में तत्कालीन डीएम डॉ नीरज खैरवाल द्वारा एक आदेश जारी कर 20 गांव के 5838 एकड़ भूमि की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इस रोक के बाद करीब 10 हजार परिवार प्रभावित हुए थे. वहीं इस भूमि पर लगी रोक को हटाने के लिये प्रमुख लीज होल्डर सूद परिवार और अन्य लोग मुख्यमंत्री समेत अन्य नेता अधिकारियों से मिले थे. मामला डीएम कोर्ट में चल रहा था ऐसे में इन लोगों के द्वारा वरीष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा पैरवी भी करवाई जा रही थी. बीते 26 अगस्त को डीएम कार्यालय में सरकार बनाम लीज होल्डर लाला खुशीराम के वारिसान की दलीलों को सुना था. इस सुनवाई में पैरवी करते हुए वरीष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा, अधिवक्ता चरनजीत सिंह, किच्छा के अधिवक्ता पीयूश पंत के साथ ही दिल्ली के अधिवक्ता विपिन नायर, अधिवक्ता कार्तिक और अधिवक्ता सुरेश ने डीएम के समक्ष मजबूत दलीलें पेश की थीं.
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद डीएम ने फैंसला अपने पास सुरक्षित रखते हुए अगली तारीख 16 सितंबर घोषित की थी. गुरुवार को जिला कलेक्ट्रेट में सुबह से ही भूमि पीड़ितों की भीड़ लगना शुरू हो गई थी. डीएम रंजना राजगुरू ने ठीक 1 बजे अपनी सुनवाई शुरू की तथा 1:17 पर उन्होंने अपना फैंसला सुनाते हुए बाजपुर के 10 हजार से अधिक परिवारों को खुशखबरी दी. डीएम ने अपने इस एतिहासिक फैंसले में कहा कि लाला खुशीराम की लीज 12 गांव की 4805 एकड़ भूमि और श्याम स्वरूप भटनागर की लीज 8 गांव की 1033.71 एकड़ भूमि पर काबिज उनके वारिसान के लिये पूर्व का आदेश विधिवत् जारी रहेगा और इन वंशजों को लीज की इस जमीन को खरीदने बेचने का अधिकार नहीं होगा. लेकिन इन दोनों परिवारों के अलावा जितने भी प्रभावित लोग हैं उन सभी की भूमि पर से लगी रोक को हटाने के निर्देश जारी कर दिए गए. अब लाला खुशीराम और श्याम स्वरूप भटनागर के वंशज इस केस को अकेले लड़ेंगे. डीएम के इस फैंसले के बाद लोगों में हर्ष का माहौल बन गया.