जोशीमठ में 3 गांव ऐसे है जहां कोरोना की दूसरी लहर में अभी तक किसी का भी नहीं हुआ है कोरोना टेस्ट, जबकि कोरोना लगातार दे रहा है गांव में दस्तक. स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं किया जा रहा है. एबीपी न्यूज़ गांव-गांव जाकर आपको सच दिखा रहा है. अब टीम पहुंची फागती गांव में  जोशीमठ से करीब 35 किलोमीटर दूर.


गांव के लोगों का कहना है कि पहली बार कोई न्यूज़ चैंनल इस गांव की सुध लेने आया है. जबसे कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई है तब से यहां गांव में रहने वाले लोगों का कोई टेस्ट नहीं किया गया है. गांव के पूर्व प्रधान दरबार सिंह ने बताया ये हालात पिछले कई सालों से है. ये गांव भी स्वास्थ्य केंद्र वो ही है जो भल्ला और सूकी गांव का है जहाँ डॉक्टर नही है और वो मेडिकल सेंटर भगवान भरोसे चल रहा है.

पूर्व प्रधान दरबान सिंह की मानें तो नेता वोट मांगने तो जरूर आते हैं लेकिन उसके बाद हमें हमारे हाल पर छोड़ देते हैं. इनका कहना है कि अभी तक गांव के अंदर टेस्ट करने के लिए कोई टीम नहीं आई है और पूरे गांव में डर का माहौल बना हुआ है क्योंकि महामारी लगातार फैलती जा रही है. इस गांव के अलावा टोलमा और लोंग गांव में भी टेस्टिंग नही हुई है.


दरबान सिंह ने कहा- मैं आज से 19 साल पहले इस गांव का प्रधान रहा हूं यह जो एएनएम सेंटर है यह तीनों गांव की 1 ग्राम सभा हमारी है तो तब से आज तक स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी प्रकार की कोई तब्दीली नहीं हुई है. वह अलग चीज है कि सुराई थोटा में जहां से आप लोग देख कर आए हैं. वह सेंटर पहले नहीं था बाद में बना है. लेकिन वहां पर मेडिकल फैसिलिटी नहीं है. हमने बोला था कि सीमांत क्षेत्र में हम लोग 12 महीने यहीं पर रहते हैं.


उन्होंने कहा- सरकार के कान में जूं नहीं रेंगती है हम शिकायत करें तो किसके पास करें. जो यहां के स्थानीय विधायक हैं ना उनकी पार्टी का रिप्रेजेंटेटिव भी हूं. लेकिन वह भी अनसुनी बात करते हैं. सरकारे आ रही जा रही हैं. 2022 की बात आएगी ये लोग गांव-गांव में आएंगे वोट मांगेंगे सिर्फ वोट मांगने के लिए आते हैं और गांव के लोगों को उनके हाल पर छोड़ कर चले जाते हैं.

उत्तराखंड के तकरीबन हर गांव में ऐसी स्थिति बनी हुई है स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर तस्वीर हर गांव में देखने को मिल रही है प्रशासन सो रहा है और कोरोना बढ़ता जा रहा है जिसका खामियाजा यहां रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है.