क्रिप्‍टोकरेंसी को लेकर जहां कई लोग बड़े उत्साहित नजर आते हैं वहीं कुछ लोगों के मन में इसको लेकर कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. ऐसे कई देश हैं जहां इसे सही माना जाता है. क्रिप्टो को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है. फाइनेंस प्‍लेटफॉर्म कंपाउंड की हालिया अपडेट में एक बग की वजह से यूजर्स के पास नौ करोड़ डॉलर की क्रिप्‍टोकरेंसी चली गई, जिसके बाद इसके सीईओ ने यूजर्स से इसे वापस करने की अपील की. 


यह ग्लिच क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म के लिए एक काली आंख जैसी है, जिसे ट्रैडिश्नल फाइनेंस सिस्टम को खत्‍म करने के तौर पर देखा जा रहा है. डिसेंट्रलाइज्‍ड फाइनेंस (Defi) प्लेटफॉर्म में बैंक या दूसरे बिचौलिए नहीं होते हैं, जो पूरी तरह से कंप्यूटर कोड द्वारा कंट्रोल यूजर्स के बीच स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स पर निर्भर होने के बजाय फंड का मैनेजमेंट करते   हैं. प्रस्‍तावकों के मुताबिक पारंपरिक फर्मों को काटने में डेफी ज्यादा भेदभावहीन है.


यह अक्सर ‘कोड इज लॉ’ मंत्र के इस्तेमाल से इस बात पर जोर देता है कि कंप्यूटर कोड सिस्टम को कंट्रोल करता है. लेकिन आलोचकों के मुताबिक जब कोड में गलतियां होती हैं, तो यह यूजर्स के लिए मुश्किल भरा होता है. 


अमेरिकन फॉर फाइनेंशियल रिफॉर्म के एक वरिष्ठ नीति विश्लेषक एंड्रयू पार्क ने कहा "मौजूदा बैंकिंग सिस्टम की आलोचना करने के कारण हैं, लेकिन इस तरह की चीजों को होने से रोकने के लिए बहुत सारे सुरक्षा उपाय हैं." कई क्रिप्टो प्रोजेट्स के आलोचक ने कहा कि "अगर मेरे पास कंपाउंड में मेरा पैसा है, तो अब मुझे उस सिस्टम में कितना विश्वास होगा?"


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