बैन होने के बावजूद टिकटॉक के पास अभी भी है करोड़ो भारतीयों का डेटा, कंपनी के एम्प्लॉई ने बताया सच
टिकटॉक को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कंपनी के पास अभी भी करोड़ों भारतीयों का पर्सनल डेटा मौजूद है जिसे कंपनी के एंप्लोई एक्सेस कर सकते हैं.
वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टॉक को भारत में 3 साल पहले सरकार ने बैन कर दिया था. हालांकि इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें ये बात कही गई है कि कंपनी के पास अभी भी हजारों भारतीयों का पर्सनल डेटा मौजूद है. फोर्बेस की एक रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है. टिकटॉक के एक एंप्लॉय ने फोर्बेस को इस बारे में बताया कि भारतीयों को जरा भी अंदाजा नहीं है कि कंपनी के पास उनका कितना कीमती डेटा मौजूद है. एंप्लॉई ने ये बात भी कही कि टिक टॉक के कर्मचारी जिनके पास बेसिक एक्सेस है वह इस जानकारी को हासिल कर सकते हैं.
भारत में बैन होने के बावजूद टिकटॉक की पैरंट कंपनी बाइटडांस के पास 1,10,000 से ज्यादा एम्लॉईज वर्ल्ड वाइड मौजूद हैं जिसमें चाइना, यूएस, रशिया आदि देश शामिल हैं. फोर्बेस की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इस डेटा के जरिए Z जनरेशन को टारगेट किया जा सकता है क्योकि कंपनी इस डेटा को किसी को भी बेच सकती है.
रिपोर्ट पर टिकटॉक ने दी सफाई
टिक टॉक ने फोर्बेस की रिपोर्ट को गलत करार दिया है और कहा कि कंपनी सभी रूल्स एंड रेगुलेशन का पालन कर रही है. भारत सरकार के आदेश के बाद सारा डेटा कंपनी के इंटरनल पॉलिसी के तहत कंट्रोल में है जिसका एक्सेस लिमिटेड है.
बता दें, इससे पिछले हफ्ते टिकटॉक ने भारत में अपने 40 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. कंपनी ने इन कर्मचारियों को 9 महीने की सैलरी देने की बात कही थी लेकिन अधिकतर को सिर्फ 3 महीने का ही कंपनसेशन दिया जा रहा है. टिकटॉक ने 2020 में रिमोट सेल्स सपोर्ट हब भारत में खोला था जिसे अन्य देशों की सेल्स टीम को सपोर्ट देने के लिए कंपनी ने ओपन किया था.
सरकार ने बैन किए 400 से ज्यादा ऐप्स
भारत सरकार देश और लोगों की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए लगातार काम कर रही है और अब तक 400 से ज्यादा ऐप्स बैन किए जा चुके हैं. शुरुआत में भारत सरकार ने 300 चीनी ऐप को बैन किया था जिसमें WeChat, Shareit, Helo, Likee, UC News, Bigo Live और UC Browser शामिल था. पिछले महीने फरवरी में सरकार ने 230 ऐप्स बैन किए थे जिसमें से 138 बेटिंग ऐप और 94 लोन ऐप थे. दरअसल, इन ऐप्स के जरिए लोगों का पर्सनल डेटा गलत तरीके से यूज किया जा रहा था.
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