NordVPN Announcement : अगर आप NordVPN के यूजर हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है. आप नए आईपी एड्रेस के साथ NordVPN की सेवाओं का लाभ ले सकेंगे. NordVPN और प्राइवेट इंटरनेट एक्सेस (PIA) ने भारतीय बाजार से अपने सर्वर को हटाने का एलान किया है. यह ऐलान भारत सरकार के नए कानून के विरोध में किया गया है. दरअसल, सरकार ने अपने एक फैसले में कहा है कि VPN कंपनियों को यूजर्स का डाटा पांच सालों तक सुरक्षित रखना होगा और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को देना होगा.
कंपनियों ने जताई आपत्ति
सरकार का यह फैसला आने के बाद प्रमुख VPN कंपनियों ने आपत्ति जताई. NordVPN ने पहले ही कहा था कि यदि सरकार अपने फैसले नहीं बदलती है या कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है तो उन्हें भारतीय बाजार से अपना बिजनेस समेटने पर मजबूर होना पड़ेगा. लेकिन वे सरकार के इस फैसले में योगदान नहीं देंगे. NordVPN से पहले Surfshark और ExpressVPN ने भारत में अपनी सेवाएं बंद करने की घोषणा कर दी है.
NordVPN की सेवा आगे भी जारी रहेगी
जानकारी के लिए बता दें कि वीपीएन को लेकर बना यह नया कानून भारत में 28 जून से प्रभावी हो रहा है. NordVPN ने इस कानून को मानने से इंकार कर दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अब NordVPN की सेवा बंद हो जाएगी. नॉर्डवीपीएन के यूजर्स नए आईपी एड्रेस के साथ उसकी सेवाओं का लाभ आगे भी लेते रहेंगे. दरअसल अन्य कंपनियों की तरह ही नॉर्डवीपीएन भी वर्चुअल सर्वर का इस्तेमाल करेगी और भारतीय यूजर्स को भारतीय IP एड्रेस मिलेगा.
VPN पर सरकार का बयान
सरकार ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा है कि वीपीएन सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी और आईपी एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सेव करके रखना होगा. यदि किसी कारणवश से किसी वीपीएन कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तो उसके बाद भी उसे डाटा मांगा जा सकता है. VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है. आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी पड़ेगी.
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क क्या होता है?
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कि आपके डाटा को एंक्रिप्ट करता है और आपके IP ऐड्रेस को भी छिपाता है. ऐसे में आपकी इंटरनेट की पहचान दुनिया से छुपी रहती है. आप किसी कंप्यूटर या मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिलती है, जबकि ओपन नेटवर्क में जब भी आप कुछ सर्च करते हैं तो तमाम तरह की साइट कूकिज के जरिए आपकी जानकारी ले लेती हैं और उसका इस्तेमाल आपको विज्ञापन दिखाने में करती हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करने से आपकी ट्रैकिंग भी नहीं हो सकती है. वीपीएन का इस्तेमाल आजकल ठगी और क्राइम के लिए भी होने लगा है जिसे रोकने के लिए सरकार तरह तरह के कानून बना रही है.
Hunter 350cc : रॉयल एनफील्ड लॉन्च करेगी अपनी सबसे सस्ती बुलेट, यहां जानें क्या है कीमत