भारत में सभी टेक प्लेटफॉर्म को भारतीय कानून का पालन करना होगा, आईटी स्टेट मिनिस्टर ने कही खरी-खरी
Twitter के पूर्व सीईओ डोर्सी ने हाल ही में कहा था कि सरकार द्वारा किसानों के विरोध पर कुछ खातों को ब्लॉक करने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करने के बाद ट्विटर को भारत से बाहर कर दिए जाने की धमकियां मिलीं.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए कई ब्लॉकिंग और टेक-डाउन आदेशों को चुनौती देने वाली ट्विटर (twitter) इंक द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कंपनी की याचिका में कोई दम नहीं है. इस पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (IT state Minister Rajeev Chandrasekhar) ने कहा कि भारत में सभी प्लेटफार्मों को भारतीय कानून का पालन करना आवश्यक है.
कानून का पालन होना ही चाहिए
बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, एक बयान में, मंत्री (Rajeev Chandrasekhar) ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म के साथ हमारा संबंध विपरीत नहीं है. हमारा कहना है कि कानून का पालन होना ही चाहिए. मुझे खुशी है कि अदालत ने आज यह व्यवस्था दी है कि अनुपालन न करना कोई विकल्प नहीं है. भारत में सभी प्लेटफार्मों को भारतीय कानून का पालन करना होगा.
पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के बयान पर भी बोले मंत्री
खबर के मुताबिक, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के तहत ट्विटर ने भारतीय कानून का पालन करने से इनकार कर दिया. 'इस विशेष मामले में, जैसा कि आपको याद है, उन्हें (ट्विटर को) कानून के तहत बड़ी संख्या में निर्देश दिए गए थे, जिनका उन्होंने पालन नहीं किया और फिर जब उन्हें कानूनी नोटिस भेजा गया तो उन्होंने अदालतों में जाने का विकल्प चुना. ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम कार्यक्रम के मौके पर चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने कहा कि यह उस कल्पना का हिस्सा है जिसे मिस्टर डोर्सी ने भी पेश किया था.
एलन मस्क ने भी दी थी प्रतिक्रिया
डोर्सी ने हाल ही में कहा था कि सरकार द्वारा किसानों के विरोध पर कुछ खातों को ब्लॉक करने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करने के बाद ट्विटर को भारत से बाहर कर दिए जाने की धमकियां मिलीं. इन दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा कि यह सरासर झूठ है. एलन मस्क ने भी इस पर कहा था कि ट्विटर (twitter) के पास भारत सरकार द्वारा लगाए गए नियमों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने हर देश के कानूनों का सम्मान और अनुपालन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए विचार व्यक्त किया कि कोई भी अमेरिकी सिद्धांतों को सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं कर सकता है.
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