Google करेगा सरकार के नियमों का पालन... Android में होने वाले हैं ये अहम बदलाव
भारत में एंड्रॉयड यूजर्स जल्द ही अपने डिफ़ॉल्ट वेब ब्राउज़र का चयन कर सकेंगे. इससे उन्हें माइक्रोसॉफ्ट बिंग जैसे सर्च इंजन को एक्सप्लोर करने का विकल्प मिलेगा.
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Google India : गूगल इंडिय बहुत जल्द भारत में अपने एंड्रायड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम और गूगल प्ले ऐप स्टोर (Google Play App Store) को ऑपरेट करने के सिस्टम में बदलाव करने का रहा है. भारत के एंटीट्रस्ट वॉचडॉग, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के मामले के बाद अक्टूबर 2022 में कंपनी पर भारी जुर्माना लगा था, जिसमें स्मार्टफोन बाजार में Google की डोमिनेंट पोजीशन देखी गई थी. भारत में एंड्रॉइड स्मार्टफोन का एक बड़ा मार्केट है. न्यू पॉलिसी एंड्रॉइड ऐप डेवलपर्स को राहत दे सकते हैं और यूजर्स को भी अधिक विकल्प दे सकती है. कुछ प्रमुख बदलावों में डेवलपर्स के लिए गूगल पेमेंट मैथड का इस्तेमाल न करके डिफ़ॉल्ट वेब ब्राउज़र और ऑप्शनल पेमेंट मैथड शामिल हैं.
एक प्रेस रिलीज के जरिए गूगल ने बताया कि वह भारत में स्थानीय कानूनों और विनियमों के साथ चलने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन CCI के निर्देशों को लागू करने के लिए कुछ समय की जरूरत होगी.
ओरिजनल मैन्युफैक्चरर को मिली आजादी
सबसे पहले, ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) अब अपने डिवाइस पर प्री-इंस्टॉलेशन के लिए अलग-अलग गूगल ऐप्स को लाइसेंस दे सकते हैं. इसका मतलब है कि स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां, जिसे चाहें अपने डिवाइस पर स्मार्टफोन ऐप्स प्री -इंस्टालेशन का लाइसेंस दे सकती हैं. इससे पहले, एंड्रॉइड लाइसेंसिंग समझौते के तहत गूगल की ऐप जैसे यूट्यूब, मीट और जीमेल शुरुआत से ही प्री-इंस्टॉल्ड आते थे.
यूजर्स अपना डिफॉल्ट सर्च इंजन चुन सकते हैं..
इसके साथ ही, यूजर्स के पास अब एक ऑप्शन स्क्रीन के माध्यम से अपना डिफ़ॉल्ट खोज इंजन चुनने का ऑप्शन होगा, जो आगे आने वाले स्मार्टफोन में बहुत जल्द दिखाई देने लगेगा. इसका मतलब है कि अब जरूरी नहीं कि यूजर्स को गूगल के सर्च इंजन का ही इस्तेमाल करना पड़े. वे अपनी पसंद के सर्च इंजन को डिफॉल्ट कर सकते हैं. इससे कई लोगों को बाकी के सर्च इंजन के बारे में पता चलेगा.
डेवलपर को मिलेंगे अन्य बिलिंग मैथड
गूगल ने कहा है कि वो अधिक बिलिंग विकल्पों की पेशकश करेगा. डेवलपर्स यूजर्स को गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम के साथ एक वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम का ऑप्शन भी दे सकेंगे. दरअसल, डेवलपर्स ने शिकायत की थी कि गूगल के बिलिंग सिस्टम से किए गए भुगतान स्वचालित रूप से शेयरिंग कमीशन का कारण बनते हैं, जिससे ऐप डेवलपर्स का कुल रेवेन्यू कम हो जाता है.
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