Risk at App Based Cab : भारत में पिछले कुछ साल में लोगों की निर्भरता ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट पर बढ़ी है. सुविधाजनक और सस्ते सफर के लिए लोग ओला (Ola), उबर (Uber) या रैपिडो (Rapido) जैसी ऐप का सहारा लेते हैं. इस दौरान लोग जरूरत के हिसाब से कार (Car), ऑटो (Auto) या बाइक (Bike) की बुकिंग करते हैं. इससे लोगों का सफर तो आसान हो रहा है, लेकिन ऐप से बुकिंग की वजह से आपका डेटा उन तक पहुंच रहा है और ये कंपनियां आपकी जानकारी को स्टोर कर रही हैं. कंपनियों का इसके पीछे तर्क होता है कि यह डेटा सर्विस को बेहतर बनाने के लिए स्टोर होता है, लेकिन यह सच नहीं है. ये कंपनियां आपके डेटा को थर्ड पार्टी को बेच रहीं हैं.
ये ऐप रखती हैं सबसे ज्यादा डेटा
हाल ही में साइबर सिक्योरिटी कंपनी सर्फसार्क (Surfshark) ने एक स्टडी की थी. उसमें कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रैबटैक्सी, यांडेक्स गो और उबर (Uber) अपने ग्राहकों का सबसे ज्यादा डेटा स्टोर कर रहीं हैं. ओला भी अपने कस्टमर्स का डेटा जमा करती है. वहीं बाइक टैक्सी से शुरुआत करने वाली रैपिडो (Rapido) भी ग्राहको का डेटा जमा कर रही है, लेकिन यह अन्य कंपनियों की तुलना में कम है.
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यहां यूज होता है आपका डेटा
रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनियां आपका डेटा ऐड देने वाली कंपनियों को बेच देती हैं. स्टडी करने वाली सर्फशार्क (Surfshark) के सीईओ व्यतौतास काजिउकोनि (Vytautas Kaziukonis) का कहना है के मुताबिक, इस अध्ययन में 30 राइड हेलिंग ऐप को शामिल किया गया था. इनमें से हमें 9 कंपनियां ऐसी मिलीं जो अपने ग्राहकों की की डिटेल को थर्ड पार्टी को एडवर्टाइजिंग यज के लिए बेच देती हैं. कंपनियां डिटेल्स में यूजर का नाम, एड्रेस, मोबाइल नंबर और ईमेल देती हैं.
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