टेक्नोलॉजी में दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाने वाली कंपनी Apple इस बार एक विवाद के चलते चर्चओं में है. दरअसल कंपनी batterygate मामले के समझौते के लिए 113 मिलिय डॉलर यानी करीब 8.3 अरब रुपये का जुर्माना अदा करेगी. कंपनी अपने यूज़र्स के पुराने आईफोन को स्लो करने का खामियाजा टोटल 45.54 अरब रुपये देकर भुगतेगी. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
ये है पूरा मामला
दरअसल तीन साल पहले ऐपल ने ऐसा अपडेट जारी किया था जिसके चलते कंपनी के पुराने फोन धीमे हो गए और इसकी जानकारी कंपनी ने यूजर्स को पहले से दी भी नहीं. ऐपल के इस अपडेट के बाद पुराने आईफोन स्लो हो गए. जब लोगों ने इसकी शिकायत की तो कंपनी ने अपनी सफाई में कहा कि फोन में परेशानी न आए और बैटरी के चलते फोन बंद न हों, इसलिए कंपनी ने ऐसा किया है. हालांकि लोगों को कंपनी की ये सफाई कुछ खास नहीं लगी और लोगों ने अंदाजा लगाया कि ऐपल लोगों को नए फोन खरीदने के लिए मजबूर कर पुराने आईफोन को स्लो कर रही है.
कोर्ट ने कहा गुमराह न करें कंपनियां
इसके बाद अमेरिका के करीब 34 राज्यों ने ऐपल के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला किया. वहीं एरीजोना के अटॉर्नी जर्नल मार्क बर्नोविक ने अपने एक बयान में कहा कि बड़ी कंपनियों को यूजर्स को गुमराह नहीं करना चाहिए और अपने प्रोडक्ट्स प्रैक्टिसेस के बारे में उन्हें पहले से आगाह करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां अगर अपने ग्राहकों से सच्चाई छिपाती हैं तो मैं कंपनियों को अपने कारनामों की जम्मेदारी दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हूं.
ऐपल ने मानी गलती
वहीं अमेरिकी कोर्ट ने ऐपल से उन सभी अमेरिकी यूजर्स को 25 डॉलर देने का आदेश दिया जो इस अपडेट से प्रभावित हुए हैं. इस अपडेट से iPhone 6, iPhone 6s, iPhone 6s Plus, iPhone 7, iPhone 7 Plus और iPhone SE प्रभावित हुए थे. हालांकि ऐपल ने जुर्माना देने के लिए हां करदी लेकिन कंपनी अपनी गलती मानने के लिए फिर भी तैयार नहीं हुई. साथ ही कंपनी ने भी माना कि अपडेट के माध्यम से पुराने आईफोन स्लो किए गए, लेकिन साथ में ये भी सफाई दी कि ये इसलिए किया गया था ताकि बैटरी सुरक्षित रहे.
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