Your Privacy at Risk: भारत में सभी प्रमुख इंटरनेट सर्विस प्रॉवाइडर यूजर्स को राउटर भी देते हैं. हालांकि वे "फ्री राउटर" और "सुविधा" के नाम पर ऐसा करते हैं लेकिन सच यह है कि यह अनिवार्य है. टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स को तब तक फाइबर कनेक्शन लेने की अनुमति नहीं देते हैं, जब तक कि वे "मुफ्त" राउटर लेने के लिए भी सहमत न हो जाए. हालांकि फ्री राउटर के चक्कर में अधिकांश यूजर्स इस ऑफर से मना भी नहीं करते हैं लेकिन क्या ऐसा करना सही है.  


ऐसा लगता है कि यह मुद्दा अधिकांश यूजर्स के लिए चिंता का विषय नहीं रहा है, इसका कारण है फ्री राउटर का मिलना. लेकिन कुछ यूजर्स जो अपनी गोपनीयता के प्रति जागरूक हैं अब मुद्दे को लेकर सतर्क हो रहे हैं.


चिंता की बात यह है कि राउटर का स्वामित्व और प्रबंधन इंटरनेट सर्विस प्रावाइडर द्वारा किया जाता है, जो इन राउटरों के साथ-साथ उनके अंदर सॉफ्टवेयर की आपूर्ति और प्रबंधन भी करती हैं. ये कंपनियां राउटर से गुजरने वाले सभी इंटरनेट ट्रैफ़िक पर नज़र रख सकती हैं. 


टेलीकॉम कंपनियों ने राउटर को बना दिया है जरूरी 
चिंता का संबंध पसंद के मामले और गैजेट के मालिक होने की क्षमता से भी है. यह सिर्फ इतना नहीं है कि टेलीकॉम कंपनियां फाइबर कनेक्शन यूजर्स को अपने राउटर की आपूर्ति करते हैं, बड़ी समस्या यह है कि वे इन राउटरों को अपने घरेलू नेटवर्क में डालने पर जोर देते हैं. यदि यूजर अपने स्वयं के राउटर खरीदना और उपयोग करना चाहते हैं,  तो ये बड़ी टेलीकॉम कंपनियां अक्सर कनेक्शन देने से मना कर देती हैं.


मुद्दा भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ता पुष्टि कर सकते हैं, यह है कि जब भी एयरटेल, एसीटी और अन्य इंटरनेट सेवा प्रदाता घर में फाइबर कनेक्शन लगाते हैं, तो वे जोर देते हैं कि उपयोगकर्ता को कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए राउटर का उपयोग करना होगा. 


फाइबर कनेक्शन के शुरुआती दिनों में, लगभग 6 से 7 साल पहले,  इंटरनेट सर्विस प्रॉवाइडर नेटवर्किंग गियर के दो पीस देते थे: एक ओएनटी (ऑप्टिकल नेटवर्क टर्मिनल) जो फाइबर लाइन को एक नियमित इंटरनेट कनेक्शन में परिवर्तित कर देता था जिसका उपयोग घर के भीतर किया जा सकता था. और एक राउटर जो ओएनटी से कनेक्ट होगा और कंप्यूटर या लैपटॉप के लिए वाईफाई के साथ-साथ इंटरनेट लिंक भी प्रदान करेगा.


इस व्यवस्था में, यूजर्स को अपने स्वयं के राउटर का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन ONT की आपूर्ति इंटरनेट सर्विस प्रॉवाइडर की होनी चाहिए थे. लेकिन बाद के वर्षों में भारत के एक बड़े बिजनेस ग्रुप की कंपनी के इस फील्ड में उतरने के बाद हालात बदल गए जब इस नई कंपनी ने इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया कि यूजर को फ्री राउटर लेना चाहिए, चाहे उसे इसकी जरुरत हो या नहीं.


अमेरिका में 2020 में, नियामकों ने एक नियम के साथ कहा कि यूजर्स के पास कनेक्शन लेते समय राउटर में एक विकल्प होगा और उन्हें बंडल राउटर के लिए भुगतान करने को मजबूर नहीं किया जा सकता है. अफसोस की बात है कि भारत में, बिना किसी नियामक तंत्र के और इंटरनेट सर्विस प्रॉवाइडर आपूर्ति वाले राउटर के जोखिमों के बारे में यूजर्स के बीच कम जागरूकता के कारण  वर्तमान में ब्रॉडबैंड यूजर्स के लिए कोई राहत उपलब्ध नहीं है.


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