क्या AI नौकरियां खा जाएगा? जानिए आखिर ऐसा कहना क्यों गलत हो सकता है, ये हैं तर्क
इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति का कहना है कि एआई इंसानों की जगह नहीं ले सकता है और न ही भविष्य में लेगा. जानिए क्यों?
AI vs Human : चैटजीपीटी ने अपनी तरफ कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. चैट जीपीटी के आने के बाद से ही एआई के बारे में खूब बाते होने लगी हैं. शायद ही हमने पहले कभी एआई को लेकर इतनी चर्चाएं की होंगी, लेकिन चैट जीपीटी ने इस और ध्यान देने पर मजबूर कर दिया है. इस बीच कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि एआई इंसानों के लिए ठीक नहीं है. यह किसी की नौकरी तक खा सकता है. वहीं, दूसरी तरफ अन्य लोगों का कहना है कि एआई मनुष्यों को उनकी नौकरियों में मदद करेगी. अभी हाल ही में, इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने एआई के भविष्य और वायरल चैटबॉट चैटजीपीटी को लेकर अपने विचार व्यक्त किए.
क्या इंसानों की जगह ले लेगा AI?
इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति का कहना है कि एआई इंसानों की जगह नहीं ले सकता है और न ही भविष्य में लेगा. अपनी बात को एक्सप्लेन करते हुए एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि एआई इंसानों की जगह नहीं लेगा क्योंकि इंसान एआई को ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि यह बस एक गलतफहमी है कि AI मानव की जगह ले लेगा, जबकि सच यह है कि मानव AI को उनकी जगह लेने की अनुमति नहीं देगा.
AI के पास नहीं है दिमाग
इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि एआई ने हेल्पर बनकर' हमारे जीवन को और अधिक आरामदायक बनाया है. एआई को इंसानों की सहूलियत के लिए ही डिजाइन किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि इंसान के पास दिमाग की ताकत होती है जिसका मुकाबला कोई कंप्यूटर नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि AI इंसानों के समय को जरूर बचा सकता है. इससे इंसानों के पास ज्यादा खाली समय होगा. हालांकि, हो सकता है कि इंसान उस खाली समय का आनंद लेने के बजाय, नई चीजों के बारे में सोचना शुरू कर दें और व्यस्त हो जाएं.
मोबाइल और कंप्यूटर से भी डरते थे लोग
यह सब बाते कहने के बाद, नारायण मूर्ति ने याद दिलाया कि कैसे शुरुआत में दुनिया ऐसे ही कारणों के चलते मोबाइल फोन और कंप्यूटर को लेकड़ भी डर रही थी, लेकिन आज मोबाइल और कंप्यूटर का खूब इस्तेमाल हो रहा है. इन दोनों ने क्रांति लाई है. उन्होंने यह भी कहा कि मानव मस्तिष्क हमेशा टेक्नोलॉजी से एक कदम आगे होता है.
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