Bar Code And QR Code: अक्सर कोई सामान खरीदते वक्त या कोई ऑनलाइन पेमेंट करते समय बार कोड (Bar Code) और क्यूआर कोड (QR Code) का नाम सामने आता है. इसे स्कैन करने के बाद पेमेंट तुरंत हो जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये काम आसान कर देने वाले टेढ़े-मेढ़े कोड डिजिटल जमाने के लिए कितने जरूरी हैं. इनके प्रचलित होने की यही वजह भी है. यह दोनों कोड भले ही दिखते एक जैसे हैं लेकिन दोनों का काम अलग है और इनमें बहुत अंतर है.
यहां हम आपको बार कोड (Bar Code) और क्यूआर कोड( QR Code) के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
बार कोड (Bar Code) क्या है
बार कोड का इस्तेमाल 1974 में कमर्शियल काम के लिए शुरू किया गया था. अपने देखा होगा कि कोई सामान लेने के बाद दुकानदार उस सामान के बार कोड को स्कैन करता है. दरअसल ये सामान का एक लीनियर री-प्रेजेंटेशन है, जिसे एक ऑप्टिकल डिवाइस की मदद से पढ़ा जाता है. बार कोड की मदद से किसी सामान की पूरी जानकारी मिल जाती है. इस कोड को स्कैन करने के बाद उसकी कीमत, मेन्यूफैक्चरिंग डेट जैसी कई जानकारियों का पता लगाया जा सकता है. ये आपके काम को आसान बनाता है क्योंकि किसी सामान की जानकारी बार कोड स्कैन करके आप खुद भी ले सकते हैं.
क्या होता है क्यूआर कोड (QR Code)
क्यूआर कोड का पूरा नाम क्विक रिस्पॉन्स कोड है. नाम से समझ आता है कि ये काम जल्दी करता है. दरअसल, ये बार कोड का ही एडवांस्ड वर्जन है. ये बार कोड की तुलना में ज्यादा जानकारियां स्टोर कर सकता है. इस कोड ने ऑनलाइन पेमेंट ओर लोगों के जीवन को बहुत आसान बना दिया है. अगर आज आप कैश लेकर नहीं चलते हैं, तो इसका सबसे बड़ा कारण यही है. आजकल दुकानदार से लेकर हर अगले इंसान के पास एक क्यूआर कोड है, जिसकी मदद उसे बड़ी आसानी से ऑनलाइन पेमेंट की जा सकती है.
क्यूआर कोड को 1994 में बनाया गया था. इसे पहले ऑटो-मोबाइल के स्पेयर पार्ट्स को स्कैन करने के लिए बनाया गया था. इसे केवल वही मोबाइल ऐप्स पढ़ सकते हैं, जो खास तौर पर इसे पढ़ने के लिए बनाए गए. ऑनलाइन पेमेंट के दौरान क्यूआर कोड में व्यक्ति का नाम, उसके बिजनेस का नाम (अगर है तो), बैंक अकाउंट नंबर समेत कई जानकारियां स्टोर होती हैं.
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