Brain-Computer Interface: आज के इस आधुनिक समय में इंसानों और मशीनों का आपस में जुड़ाव पहले से ही देखने को मिल रहा है. तकनीक यहां तक विकसित हो चुकी है कि अगर किसी व्यक्ति का कोई अंग दुर्घटना में खराब हो जाता है तो उसे आर्टिफिशियल अंग से बदल दिया जाता है. इसके अलावा, तकनीक की मदद से आंखों की रौशनी में भी सुधार किया जा सकता है और यहां तक कि लोगों को नाइट विजन या "सुपर विजन" जैसी ताकत भी दी जा रही हैं. लेकिन सवाल ये है कि अगर ये तकनीक हद से आगे निकल गई तो क्या होगा?


अमेरिका ने बनाया एक्सोस्केलेटन


जानकारी के अनुसार, अमेरिकी सेना ने ऐसे एक्सोस्केलेटन तैयार किए हैं जो सैनिकों को असाधारण शक्तियां देने में सक्षम हैं. वैज्ञानिक अब ऐसे इंटरफेस पर काम कर रहे हैं जो इंसानों को AI से सीधे जोड़ सकते हैं जिससे मनुष्य और मशीन एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़ सकें. वहीं, कुछ कंपनियां ऐसे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस बनाने की योजना बना रही हैं जो इंसानों के विचार भी पढ़ सकें.


क्या होता है Brain-Computer Interface


ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) जो इंसानों के दिमाग को सीधे कंप्यूटर या किसी डिवाइस से जोड़ने की क्षमता रखता है. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस एक ऐसा सिस्टम है जो मस्तिष्क की गतिविधियों को पढ़कर उन्हें कंप्यूटर की भाषा में बदलता है. यह तकनीक न्यूरॉन्स के माध्यम से मस्तिष्क में होने वाले मैसेज को पहचानती है और उन्हें डिजिटल कमांड में परिवर्तित कर देती है. इसका मतलब है कि व्यक्ति केवल सोचकर ही किसी कंप्यूटर, मशीन या रोबोट को नियंत्रित कर सकता है.


कैसे काम करता है ये सिस्टम


इस तकनीक में मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं या फिर बाहरी सेंसर की मदद से EEG (Electroencephalography) सिग्नल लिए जाते हैं. इन सिग्नलों को एक कंप्यूटर सिस्टम पढ़ता है और उसको ऐनलाइज करता है कि व्यक्ति क्या सोच रहा है या क्या करना चाहता है. इसके बाद कंप्यूटर उसी अनुसार रिस्पांस देता है.


क्या सच में मशीन पढ़ सकेगी इंसानों के विचार


फिलहाल यह तकनीक सीमित विचारों को पहचानने में सक्षम है जैसे कि “हाथ हिलाना”, “कर्सर चलाना” या “कुछ चुनना”, लेकिन वैज्ञानिक भविष्य में इसे इतना विकसित करना चाहते हैं कि यह व्यक्ति के सोचने भर से उसकी भावनाएं, निर्णय या शब्दों को भी पहचान सके. जानकारी के लिए बता दें कि एलन मस्क की कंपनी Neuralink इस क्षेत्र में काफी आगे बढ़ चुकी है और इंसानों पर ट्रायल भी शुरू कर चुकी है.


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