चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) चंद्रमा की धरती पर सफलतापूर्वक लैंड कर गया. लैंडिंग के बाद विक्रम (Vikram) चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान के प्रवेश को सक्षम करने के लिए एक रैंप को नीचे कर देगा. विक्रम का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस का है, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है. इसका द्रव्यमान प्रज्ञान (Pragyan) सहित 1749.86 किलोग्राम है. इसके पेलोड में रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (रंभ) डिवाइस शामिल है, जिसका इस्तेमाल उपग्रह पर आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व को मापने के लिए किया जाएगा.
क्या होगी भूमिका
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, थर्मल रीडिंग के लिए चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) और चंद्र भूकंपीय गतिविधि के लिए एक उपकरण (ILSA) है. विक्रम में नासा का लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) भी है, जो चंद्रमा की गतिशीलता को समझने के लिए एक प्रयोग है. एलआरए लैंडिंग के दौरान खतरे का पता लगाने और उससे बचने के लिए भी जिम्मेदारी लेता है. इसी तरह, अंतिम पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) है जिसका उपयोग लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना को निर्धारित करने के लिए किया जाएगा.
चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) बुधवार को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया. विक्रम लैंडर से 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आकर चांद की धरती पर चलेगा. प्रज्ञान रोवर आयताकार यानी रेक्टेंगुलर साइज का है. और इसका वजन 26 किलो का है. चंद्रयान-3 के रोवर में लगी सोलर प्लेट प्रज्ञान को चांद की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा.
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