बेंगलुरु की आर. वी. यूनिवर्सिटी ने ChatGPT पर लगाया बैन, नुकसान गिनाते हुए बताई वजह
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने सिर्फ चैट जीपीटी पर नहीं बल्कि, अन्य एआई-आधारित टूल्स जैसे कि गिटहब को-पायलट और ब्लैक बॉक्स पर भी बैन लगा दिया है.
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ChatGPT : चैट जीपीटी की बढ़ती लोकप्रियता शिक्षकों के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रही ही. यह एक एआई टूल है, जिसे ओपनएआई ने डेवलप किया है. अब चैट जीपीटी को बेंगलुरु के आरवी विश्वविद्यालय ने बैन कर दिया है. इस आई टूल को न्यूयॉर्क एजुकेशन सिस्टम ने भी बैन किया हुआ है. बेंगलुरु की आरवी यूनिवर्सिटी ने परीक्षा, लैब टेस्ट और असाइनमेंट के दौरान छात्रों को इसका इस्तेमाल करने से रोकने के लिए कैंपस के अंदर टूल पर बैन लगा दिया है. यूनिवर्सिटी ने कहा है कि हम कभी-कभी अनेक्सपेक्टेड तरीके से छात्रों के काम की जाँच करेगा और अगर शिक्षकों को लगेगा कि काम मौलिक नहीं है, तो छात्र को फिर से करने के लिए दिया जाएगा.
अन्य एआई-आधारित टूल्स भी बैन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने सिर्फ चैट जीपीटी पर नहीं बल्कि, अन्य एआई-आधारित टूल्स जैसे कि गिटहब को-पायलट और ब्लैक बॉक्स पर भी बैन लगा दिया है. यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने बताया कि हमने यूनिवर्सिटी में सभी विभागों को एक सलाह जारी की है और चैटजीपीटी जैसे कुछ एआई टूल पर बैन लगा दिया है, क्योंकि स्टूडेंट परीक्षा में या अपने असाइनमेंट को पूरा करने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
न्यूयॉर्क शहर के स्कूलों में भी बैन चैट जीपीटी
इससे पहले खबर सामने आई थी कि न्यूयॉर्क शहर के स्कूलों ने न्यूयॉर्क के पब्लिक स्कूलों में सभी डिवाइसेस और नेटवर्क पर चैटजीपीटी पर बैन लगा दिया था. इस खबर के बाद से ही चैटजीपीटी को लेकर चर्चाएं काफी तेज हो गई थी. स्कूलों का कहना था कि चैटजीपीटी स्टूडेंट्स के सीखने पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इससे बच्चो का मानसिक विकास नहीं हो पायेगा.
चैटजीपीटी के नुकसान
चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स के चलते से स्टूडेंट्स में आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता की कमी हो सकती है. इस तरह के टूल उन स्टूडेंट्स की कड़ी मेहनत को भी खराब कर सकते हैं, जिन्होंने ईमानदारी से अपने ग्रेड हासिल किए हैं. चैटजीपीटी जैसे आई टूल न सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए खतरनाक है, बल्कि इसने लेखकों, इंजीनियरों और कोडर जैसे पेशेवरों के बीच भी भय पैदा किया है क्योंकि चैटजीपीटी सहजता से लिख सकता है और पलक झपकते ही कोडिंग भी कर सकता है. इतना ही नहीं, इसे तो अब गूगल के अल्टरनेटिव के तौर पर भी देखा जा रहा है.
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