(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत में भी ChatGPT पर लगा बैन, इस यूनिवर्सिटी ने किया ब्लॉक
ओपन एआई के चैटबॉट 'चैट जीपीटी' पर बेंगलुरु की एक यूनिवर्सिटी ने बैन लगा दिया है. दरअसल, इस चैटबॉट से बच्चे एग्जाम, लैब टेस्ट और कई असाइनमेंट कर रहे थे जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने ये फैसला लिया है.
ChatGPT: एक तरफ जहां ओपन एआई के चैटबॉट को भविष्य के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है तो दूसरी तरफ इसे बच्चों के लिए खतरा भी बताया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये बच्चों की क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी को कम या खत्म कर देता है. एआई टूल की मदद से बच्चे अपना होमवर्क, असाइनमेंट और लैब टेस्ट आसानी से कर रहे हैं. यहां तक कि इस चैटबॉट ने एमबीए और लॉ का एग्जाम तक पास कर दिया है.
दुनिया भर के यूनिवर्सिटी के अध्यापकों और प्रोफेसर ने इस चैटबॉट को लेकर चिंता जताई है. कुछ समय पहले ये खबर सामने थी कि अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने इस पर बैन ठोक दिया है. अब ऐसी ही खबर भारत से भी सामने आई है जहां बेंगलुरु की एक यूनिवर्सिटी ने इस चैटबॉट को यूनिवर्सिटी के अंदर ब्लॉक कर दिया है.
इस यूनिवर्सिटी ने किया ब्लॉक
बेंगलुरु के आरवी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के डीन संजय चिटनिस ने स्टूडेंट और फैकेल्टी के लिए एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी के अंदर चैट जीपीटी का इस्तेमाल करना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. अगर कोई बच्चा ये करते हुए पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. यूनिवर्सिटी में बच्चों के असाइनमेंट को चेक भी किया जा रहा है साथ ही उनसे सामने लिखने को भी कहा जा रहा है ताकि ये पता लग सके कि उन्होंने एआई की मदद से लैब टेस्ट, असाइनमेंट आदि किया है या नहीं. अगर टेस्ट में कोई फर्क पाया जाता है या ये बात सामने आती है कि बच्चे ने AI की मदद से काम किया है तो उस पर कार्यवाही की जा रही है.
नौकरी-चाकरी कर रहे लोगों को चैटबॉट से लग रहा डर
ओपन एआई के इस चैटबॉट ने दुनिया भर में सनसनी मचाई हुई है. दरअसल, ये चैटबॉट मशीन लर्निंग पर बेस्ड एक AI टूल है जिसमें पब्लिकली मौजूद सारा डेटा फीड किया गया है. ये चैटबॉट गूगल से बेहतर तरीके से किसी भी सवाल का जवाब दे सकता है. इसकी क्षमताओं को पता लगाने के लिए लोगों ने इससे एमबीए, लॉ आदि कई एग्जाम दिलवा दिए हैं. यानी चैटबॉट इतना सक्षम है कि ये आपके हर सवाल का जवाब पलक झपकते ही दे सकता है. लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए इस चैटबॉट को अच्छा नहीं बताया जा रहा है. वहीं, नौकरी-चाकरी कर रहे लोगों को भी इससे डर लगा हुआ है क्योंकि ये उनके कामकाज भी सेकेंड्स में कर रहा है.
चैटबॉट को बनाने वाली कंपनी की शुरुआत 2015 में एलन मस्क और सैम अल्टमैने की थी. हालांकि बाद में मस्क इस प्रोजेक्ट से अलग हो गए थे. फिलहाल ओपन एआई को माइक्रोसॉफ्ट का समर्थन प्राप्त है.
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