चीनी स्टार्टअप DeepSeek के AI चैटबॉट ने दुनिया में तहलका मचा दिया है. इसे बनाने में आई कम लागत के चलते पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है. हालांकि, अब इसके डेटा कलेक्शन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं. दरअसल, यह कंपनी अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत यूजर्स का पूरा डेटा चीन में स्टोर करती है. इसे लेकर कुछ लोगों का कहना है कि यूजर्स प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है.


चीन में हैं कंपनी के सर्वर


DeepSeek का AI चैटबॉट iOS, एंड्रॉयड और वेब यूजर्स के लिए उपलब्ध है. इसके जरिेये यूजर्स AI मॉडल से चैट-स्टाइल में बातचीत कर सकते हैं. कंपनी का चैटबॉट यूजर्स के सवालों के जवाब तो दे सकता है, लेकिन यह यूजर्स का भी काफी डेटा कलेक्ट करता है. इनमें से अधिकतर डेटा चीन में स्थित सर्वर पर भेजा जाता है. कंपनी यूजर्स के डिवाइस टाइप, ऑपरेटिंग सिस्टम, IP एड्रेस और कीस्ट्रोक पैटर्न के साथ अकाउंट सेटअप के दौरान मांगे जाने वाली ईमेल और फोन नंबर जैसी जानकारियां भी स्टोर करती हैं. ज्यादातर AI कंपनियां अपने मॉडल्स को ट्रेनिंग देने के लिए इस तरह की जानकारियां सेव करती हैं.


चीन में डेटा स्टोर होने पर चिंता क्यों?


दरअसल, चीन में कड़े साइबर सिक्योरिटी कानून हैं. इनके तहत कंपनियों को सरकार के साथ डेटा शेयर करना पड़ सकता है, जिससे सर्विलांस की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा DeepSeek पर ऐसी जानकारी को भी सेंसर करने का आरोप लग रहा है, जिसमें चीन या उसकी नीतियों की आलोचना की गई है. कई यूजर्स ने बताया है कि यह चैटबॉट 1989 की तियानमेन स्क्वेयर की घटना जैसे टॉपिक्स पर कोई जानकारी नहीं देता. कई बार यह ऐसे जवाब देता है, जो चीनी सरकार के प्रोपेगैंडा से प्रभावित होते हैं. 


कई ऐप्स पर हो चुकी है कार्रवाई


चीनी में डेटा स्टोर को लेकर बाकी देश बहुत सहज नहीं है. भारत सरकार ने इसे लेकर कई चीनी ऐप्स को ब्लॉक किया हुआ है. अमेरिका ने भी टिकटॉक पर चीनी सरकार के साथ यूजर्स डेटा शेयर करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की थी. अब टिकटॉक को अपना ऑपरेशन अमेरिकी कंपनी के हाथों बेचने पर मजबूर होना पड़ा है.


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