पिछले साल जब कोरोना का संक्रमण चरम पर था तब साइबर हमलों में भी खूब तेजी आई थी. साइबर सिक्योरिटी फर्म मैकेफी ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच प्रति मिनट साइबर अपराध और इससे संबंधित अन्य गतिविधयों के 648 मामले सामने आए थे. कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच कोविड से संबंधित साइबर हमलों में 114 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी. 


नेटवर्क और डाटा की क्षमता को खतरा
मैकेफी के फैलो और चीफ साइंस्टिस्ट राज समानी ने बताया कि कोविड-19 के समय जब ज्यादातर इंप्लाई कुशलता के साथ घर से काम कर रहे थे, तब कुछ दुष्ट खिलाड़ी कोविड-19 प्रचार की आड़ में घात लगाकर हमले कर रहे थे. उन्होंने बताया कि रैम्समवेयर और मालवेयर जैसे वायरस वर्क रिलेटेड एप्स पर अपना निशाना साध रहे थे. इससे नेटवर्क और डाटा की क्षमता पर जबर्दस्त खतरा उत्पन्न हो गया था. इन हमलों से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था और बाद में डाटा को रिकवर करने में करोड़ों खर्च करने पड़े थे. 


मोबाइल डिवाइसेज पर सबसे ज्यादा हमले
मैकफी के मुताबिक मालवेयर ने सबसे ज्यादा मोबाइल डिवाइसेज पर हमले किए. अक्टूबर-दिसंबर के बीच इस कारण मोबाइल डिवाइस पर पहले से 118 प्रतिशत हमले बढ़ गए. इस तरह टेक्नोलॉजी सेक्टर पर किए हमलों की शिकायतों में भी 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. मैकफी ने बताया कि इस अवधि के दौरान क्लाउड यूजर अकांउट पर 31 लाख बाहरी हमले हुए. इन हमलों के शिकारों में दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं. फाइनेंशियल सर्विस, हेल्थ केयर, पब्लिक सेक्टर, एजुकेशन, रिटेल, टेक्नोलॉजी, मैन्युफेक्चरिंग, एनर्जी, यूटिलीटिज, लीगल, रिएल एस्टेट, ट्रांसपोर्टेशन और बिजनेस सर्विस पर सबसे ज्यादा हमले किए गए.


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