Cyber Insurance Policy: साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों के बीच अब यह बेहद जरूरी हो गया है कि आप ‘साइबर इंश्योरेंस’ करा लें. साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) एक तरह का अनुबंध है, जिसमें ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनी या व्यक्ति वित्तीय जोखिम के खतरे से बचने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) खरीदता है. इस इंश्योरेंस में तय शुल्क के बदले, साइबर क्राइम से होने वाला नुकसान कवर किया जाता है, लेकिन साइबर इंश्योरेंस की भी अपनी एक सीमा है, इसलिए जरूरी है कि डिजिटल लेन-देन में पूरी सावधानी बरती जाए. साथ ही, इंश्योरेंस कराने से पहले उसके Terms and Conditions अच्छी तरह जान लिए जाएं.


Policy की जानकारी


साइबर इंश्योरेंस लेते समय पॉलिसी के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है. आपको इस बात की समझ होनी चाहिए कि पॉलिसी से आपको क्या सुरक्षा मिल रही है और अगर जरूरत पड़े तो इस पॉलिसी को कैसे इस्तेमाल किया जाएगा. अलग अलग तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी अलग-अलग तरह के साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है. ऐसे में, अगर आप ज्यादा ऑनलाइन लेन-देन करते हैं तो आपके लिए ज्यादा लिमिट वाली पॉलिसी लेना बेहतर होगा.


Cyber Attack कैसे होता है?


इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाइए कि पॉलिसी साइबर क्राइम के कितने खतरों को कवर कर रही है. यहां हम आपको कुछ प्रमुख साइबर खतरों के बारे में बता रहे हैं.


फिशिंग या स्पूफिंग (Phishing or Spoofing)


इसमें साइबर ठग आपकी संवेदनशील जानकारी को चुरा लेते हैं, जैसे- बैंक खाता विवरण और पहचान आदि.


मालवेयर (Malware)


यह एक प्रकार का virus है, जो डिजिटल डिवाइस, जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल और टेबलेट आदि से निजी जानकारियां चुराकर हैकर्स को भेज देता है.


सिम स्वैप ­(Sim Swap)


इसमें तकनीक की मदद से मूल सिम की जगह डुप्लिकेट सिम बना ली जाती है. इस डुप्लीकेट सिम की मदद से बैंक खाते से ऑनलाइन धनराशि ट्रांसफर कर ली जाती है.


क्रेडेंशियल स्टफिंग (Credential Stuffing)


इसमें साइबर चोर आपकी निजी जानकारियों को इकट्ठा कर लेते हैं, जिसमें आमतौर पर उपयोगकर्ता का नाम, ईमेल आइडी या अकाउंट पासवर्ड होता है.


सावधान रहें!


साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) होने के बावजूद भी आपको सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि देखा गया है कि कुछ लोग अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं, बल्कि ऑफिस के कंप्यूटर और पब्लिक वाई-फाई से भी वित्तीय लेन देन कर देते हैं. बता दें, ऐसे में निजी जानकारियों को एक्सेस करने से जोखिम अधिक रहता है. आपको जानकारी होनी चाहिए कि साइबर हमले कैसे किए जाते हैं और कैसे साइबर अटैक से बचा जाता है?


नोट : अगर आप या आपका कोई परिचित साइबर ठगी का शिकार हुआ है तो विशेषज्ञ से बात करके जरूरी कदम उठाएं. वहीं, पॉलिसी से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब जानने के लिए इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करें.


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