नई दिल्ली: साइबर क्राइम में भारत का स्थान 23 नंबर पर है. ये आंकड़ा 2017 का है. इसके पीछे का एक कारण है धीमी गति से साइबर शिकायतों पर प्रतिक्रिया. एक सर्वे के मुताबिक जहां दूसरी जगह पर साइबर क्राइम की शिकायतों पर प्रतिक्रिया 7 दिन में आती है. वहीं भारत में इसकी प्रतिक्रिया 9 दिनों में भी पूरी नहीं होती है.


अमेरिका की एक आईटी कंपनी "क्राउडस्ट्राइक" ने भारत के 300 सीनियर आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर करीब 1900 आईटी प्रोफेशनल्स का साइबर अटैक पर सर्वे किया था. जिसमें भारतीय प्रोफेशनल ने माना है कि तकरीबन 97 फीसदी साइबर अटैक पड़ोसी देशों से होते हैं.


जबकि 43 फीसदी आईटी सीनियर्स का मानना है कि ये साइबर अटैक ज्यादातर चाइना द्वारा किए जाते हैं. उनका कहना है कि साइबर अटैक के मामले में देश को चाइना से सबसे ज्यादा खतरा है.


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आपको बता दें कि भारत के पड़ोसी देश चीन में साइबर क्राइम करना आम बात है. इतना ही नहीं दुनिया भर में हो रहे ज्यादातर साइबर अपराधों के पीछे चीन के नागरिकों का हाथ बताया जाता है. चीनी सरकार ने इस पर कदम उठाते हुए 1900 से ज्यादा साइबर क्राइम के अपराधियों को गिरफ्तार किया था.


एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साइबर शिकायतों पर सिर्फ 75 प्रतिशत ही कार्रवाई होती है. भारत में साइबर क्राइम की शिकायतों के प्रति सजगता की जरूरत है. साथ ही भारतीय साइबर क्राइम टीम को तकनीक में और विस्तार की जरूरत है. जिससे बढ़ते हुए साइबर क्राइम पर रोक लगाई जा सके.


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