Digital Arrest: हाल के दिनों में जालसाजों की नई तरकीब सामने आई है, जिसमें वे लोगों को डराकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं. यह ठगी का नया तरीका है जिसमें जालसाज पाकिस्तानी नंबर से फोन कर भारतीय नागरिकों को यह कहकर ब्लैकमेल करते हैं कि उनका बेटा पुलिस द्वारा अरेस्ट कर लिया गया है. इस झूठी सूचना के जरिए वे पीड़ित को डराने और भ्रमित करने का प्रयास करते हैं. इसे डिजिटल अरैस्ट कहा जाता है जिसके मामले भारत में काफी तेजी से बढ़े हैं. यह एक साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.


कैसे होता है यह फर्जीवाड़ा?


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह जालसाजी कुछ इस तरह काम करती है:


फोन कॉल: जालसाज सबसे पहले पीड़ित को फोन करता है. यह कॉल अक्सर पाकिस्तान या किसी अन्य देश के नंबर से होती है, जिससे तुरंत शक पैदा होता है.


डराने की तकनीक: फोन पर जालसाज यह दावा करता है कि पीड़ित का बेटा किसी गंभीर अपराध में फंस गया है और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. वह यह भी कहता है कि बेटे को छुड़ाने के लिए तुरंत पैसे की जरूरत है.


पैसे की मांग: जालसाज पीड़ित से कहता है कि यदि वह अपने बेटे को बचाना चाहता है, तो उसे तुरंत एक निश्चित राशि भेजनी होगी. यह राशि वे डिजिटल माध्यम से भेजने का दबाव डालते हैं, ताकि उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाए.


मन की स्थिति का फायदा उठाना: इस स्थिति में कई लोग घबराहट में आकर तुरंत पैसे भेज देते हैं, बिना इस बात की पुष्टि किए कि उनके बेटे के साथ वास्तव में कुछ हुआ भी है या नहीं.


क्या होता है Digital Arrest


दरअसल, डिजिटल अरेस्‍ट एक नया धोखाधड़ी करने का तरीका है जिसमें ठग अपने आप को सरकारी अफसर बताकर लोगों के साथ ठगी करते हैं. इसके साथ ही सरकारी अफसर बनकर वह लोगों से वीडियो कॉल करते हैं और उन्हें विश्वास में लेकर उनसे पैसों की डिमांड की पूरा करवाते हैं. वह यह काम इस प्रकार से करते हैं कि लोगों को मजबूरन उन्हें पैसे देने पड़ जाते हैं. इसी नए तरीके के धोखाधड़ी को डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है.


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