वाईफाई डोंगल की शुरुआत भारतीय एयरटेल ने 2012 में की थी. इस डिवाइस के जरिए लोग वायरलेस तरीके से अपने गैजेट्स में इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते थे. शुरुआत में लोगों ने खूब वाईफाई डोंगल का इस्तेमाल किया लेकिन आज ये अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. दरअसल, सस्ते 4G इंटरनेट और रिलायंस जियो के फ्री- इंटरनेट और फिर बढ़ते पब्लिक WiFi ने डोंगल का बाजार खत्म कर दिया है और आज इनकी बिक्री न के बराबर हो रही है. मुंबई में रिलायंस जियो स्टोर के एक इन-स्टोर प्रतिनिधि ने ईटी को बताया कि बाजार में अब कोई नया डोंगल नहीं आ रहा है और जो भी स्टॉक बचा है उसे ही हम बेच रहे हैं. यानि पुराने मॉडल्स ही बेचे जा रहे हैं और उनकी बिक्री भी एकदम कम है.
कोरोना के बाद तेजी से कम हुआ डोंगल का कारोबार
रिलायंस स्टोर के कार्यकारी ने कहा कि टेलीकॉम ऑपरेटरों द्वारा अब स्मार्टफोन पर प्रतिदिन न्यूनतम 1GB डेटा दिया जा रहा है. ऐसे में अब यूजर्स को डोंगल खरीदने की आवश्यकता नहीं दिखती. साथ ही वे अपने मोबाइल फ़ोन के जरिये अब वाईफाई हॉटस्पॉट का भी इस्तेमाल कर लेते हैं जिसके लिए पहले डोंगल लिया जाता था. इसके अलावा, नए जनरेशन का स्मार्टफोन डोंगल के लिए एक सेकेंडरी सिम कार्ड लेने की आवश्यकता को भी दूर करता है, साथ ही एक अन्य डिवाइस को चार्ज करने की असुविधा को भी खत्म करता है.
टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुड़े एक कार्यकारी ने कहा कि डोंगल बनाने के लिए ऑपरेटरों द्वारा कोई ऑर्डर नहीं दिया जा रहा है और अब कंपनियां भी अपने पोस्टपेड और प्रीपेड ग्राहकों पर फोकस कर रही हैं.
डोंगल के बाजर में मंदी रिलायंस जियो के मार्केट में आने से भी हुई. कंपनी ने लोगों को सस्ता मोबाइल इंटरनेट और अनलिमिटेड कॉलिंग का लाभ दिया जिसके बाद लोगों ने मुड़कर डोंगल की तरफ नहीं देखा. साथ ही कोरोना महामारी के दौरान मोबाइल इंटरनेट के दाम में कटौती और घरेलू ब्रॉडबैंड कनेक्शन के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से डोंगल का बाजार प्रभावित हुआ. आज पब्लिक जगहों में WiFi की सुविधा मौजूद है और हर किसी के पास एक 4G और 5G फोन है. ऐसे में डोंगल को कैरी करना लोग अब समझदारी भरा नहीं समझते और इसका कारोबार अब एक तरीके से चौपट हो गया है.
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