Drone Weather Forecast: कब गर्मी पड़ेगी और कब बारिश होगी और कब तूफान आएगा, सही समय पर और सटीक तरीके से मौसम अपडेट जानने के लिए वेदर डेटा (Weather Data) बहुत जरूरी हो जाता है. सही आंकलन और वायुमंडल के आंकड़ों की सटीक जानकारी के लिए भारत अब रेडियोसॉन्ड सेंसर के साथ ड्रोन जारी करने का प्लान बना रहा है और मिनिस्ट्री और अर्थ साइंस देश में कम से कम 550 जगहों पर वेदर बैलून (Weather Balloon) छोड़ने की तैयारी में है.


मिनिस्ट्री और अर्थ साइंस के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि हम अब वायुमंडलीय डेटा (Atmospheric Data) कलेक्ट करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की संभावना तलाश रहे हैं, जो मौसम की भविष्यवाणी के लिए बहुत महत्वपूर्ण यंत्र साबित हो सकता है. बता दें कि फिलहाल देश भर में दिन में दो बार इन सेंसर्स के साथ ड्रोन छोड़ने का प्लान है.


आखिर कैसे होगा ड्रोन से फायदा?


मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, ये ड्रोन रेडियोसॉन्ड से लैस होंगे, जो पहले वेदर बैलून के जरिए ले जाया जाता था. अब ड्रोन की मदद से एटमॉस्फियर प्रेशर, टेंपरेचर, हवा की दिशा और गति को रिकॉर्ड करने के लिए सेंसर का इस्तेमाल भी किया गया है. दरअसल, इस प्लान के तहत ड्रोन में हाइड्रोजन वेदर बैलून लोड किए जाने हैं, जो 12 किमी की ऊंचाई तक जा सकते हैं. ऑनबोर्ड सेंसर तब रेडियो सिग्नल के माध्यम से डेटा को ग्राउंड टीम तक पहुंचाएगा. ट्रेडिशनली वेदर बैलून और रेडियोसॉन्ड का उपयोग किया जाता था, लेकिन इन्हें वेदर स्टेशन पर ग्राउंड स्टाफ से दूर ले जाया जाएगा.


यही कारण है कि इस मामले में ड्रोन एक बेहतर उपाय है क्योंकि उन्हें कंट्रोल और इवेलुएट किया जा सकता है. मिनिस्ट्री और अर्थ साइंस और भारतीय मौसम विभाग अब टीम बनाकर 550 मौसम केंद्रों से ड्रोन छोड़ने का काम करेंगे. रेडियोसॉन्ड ऑब्जर्वेशन को मौसम के अपडेट और फोरकास्ट को पकड़ने के लिए फोरकास्ट मॉडल में फीड किया जाएगा. ड्रोन आर्थिक रूप से वैल्युएबल, कुशल, तैनात करने में आसान और रिकवर करने योग्य होंगे. ड्रोन तकनीकी रूप से उन रेडियोसेकंड से बेहतर होंगे जो वर्तमान में ऊपरी वायुमंडल की सीमा तक अपर एयर के लिए तैनात हैं.


ड्रोन से मिलेगी सटीक डेटा:


अगर मौसम रिकॉर्ड के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए तो इसके कई फायदे हैं. जैसे वेदर बैलून से मौसम के आंकड़े एकत्र करने में लगभग दो घंटे लगते हैं, लेकिन एक ड्रोन और इसके लोडेड सेंसर के साथ इसे केवल 40 मिनट में पूरा कर पाएगा.


इसके अलावा, IMD वेदर बैलून के लिए हर दिन लगभग 100 रेडियोसेकंड खो देता है जिन्हें ट्रैक करना असंभव है. साथ ही ड्रोन के नुकसान को एक बहुत ही दुर्लभ घटना माना जाएगा क्योंकि ड्रोन को आसानी से ट्रैक और कंट्रोल किया जा सकता है.