Elon Musk Starlink: मस्क स्टारलिंक को भारत में लॉन्च करना चाहते हैं. इसके लिए उनकी कंपनी ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) में आवेदन किया है ताकि वे अर्थ स्टेशन स्थापित कर पाएं. यदि मस्क की कंपनी को क्लीयरेंस मिल जाता है तो उनका मुकाबला भारत में पहले से मौजूद OneWeb, Amazon और रिलायंस जियो के सैटकॉम से होगा. मस्क की कंपनी ने न सिर्फ अर्थ स्टेशन के लिए ऐप्लिकेशन फाइल की है बल्कि इससे पहले कंपनी ने DOT में सैटेलाइट के जरिए वैश्विक मोबाइल व्यक्तिगत संचार लाइसेंस (जीएमपीसीएस) प्राप्त करने के लिए ऐप्लिकेशन फाइल की है.


इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल स्टारलिंक के जीएमपीसीएस लाइसेंस के लिए गृह मंत्रालय की ओर से सुरक्षा जांच चल रही है और आने वाले कुछ महीनो में कंपनी को अप्रूवल मिल सकता है. बता दें, भारत की नई अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत अब विदेशी कंपनियां भी भारत में अपना इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप कर सैटेलाइट सेवाएं दे सकती हैं. इसके लिए कंपनियों को IN-SPACe से मंजूरी लेनी होगी. सरकार ने IN-SPACe- को सरकारी और निजी दोनों सैटकॉम कंपनियों को अप्रूवल देने का अधिकार दिया है.


अप्रूवल के बाद GMPCS लाइसेंस का करना होगा इंतजार


यदि मस्क की कंपनी को IN-SPACe की तरफ से अप्रूवल मिल जाता है तो फिर कंपनी को DoT से स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए इंतजार करना होगा. इधर, OneWeb को सभी अप्रूवल मिल चुके हैं और उसे अब DoT से GMPCS लाइसेंस का इंतजार है. बता दें, रिलायंस जियो की सैटेलाइट शाखा को DoT से GMPCS लाइसेंस पहले ही मिल चुका है. 


प्री बुकिंग का पैसा करना पड़ा था वापिस 


मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत आने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. दरअसल, कंपनी ने बिना लाइसेंस मिले लोगों से इंटरनेट सर्विस के लिए पैसे लेने शुरू कर दिए थे. बाद में DOT की ओर से कंपनी को सभी सभी के पैसे लौटाने के लिए कहा गया क्योकि स्टारलिंक को GMPCS लाइसेंस नहीं मिला था. स्टारलिंक भारत के चुनिंदा शहरों जैसे कि अहमदाबाद, तदेपलिंगम और इंदौर में 99 डॉलर (करीब 7,350 रुपये) का रिफंडेबल डिपॉजिट जमा करवा रही थी. इसके बदले लोगों को 50Mbps से 150Mbps तक की स्पीड देने का दावा किया गया था. 


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