अमेरिकी अरबति एलन मस्क के स्टारलिंक को अब कड़ी चुनौती मिलने वाली है. दरअसल, यूरोपीय संघ (EU) ने हाल ही में इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजिलिएंस, इंटरकनेक्टिविटी एंड सिक्योरिटी बाय सैटेलाइट (IRIS2) का ऐलान किया है. इसके जरिये सुदूर इलाकों में इंटरनेट क्नेक्टिविटी पहुंचाने के लिए अलग-अलग ऑर्बिट में 290 सैटेलाइट छोड़े जाएंगे. यूरोपीय सैटेलाइट ऑपरेटर और स्पेस कंपनी के गठबंधन SpaceRISE के साथ मिलकर इन सैटेलाइट को डेवलप किया जाएगा. यह योजना स्टारलिंक को कड़ी चुनौती देगी. स्टारलिंक अभी दुनिया के 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों में अपनी सर्विस दे रही है.
IRIS2 क्या है और कैसे काम करेगा?
EU ने इसे सरकारी ग्राहकों, प्राइवेट कंपनियों और व्यक्तियों तक कनेक्टिविटी सर्विस पहुंचाने के लिए डिजाइन किया है. इसके तहत मीडियम और लॉ अर्थ ऑरबिट में सैटेलाइट भेजे जाएंगे. ये सैटेलाइट ऐसे इलाकों में सिक्योर कनेक्टिविटी और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाने का काम करेंगे, जहां नेटवर्क कमजोर है या उपलब्ध नहीं है. इसमें स्टारलिंक की तरह हजारों सैटेलाइट की मदद नहीं ली जाएगी और सीमित सैटेलाइट के जरिये ही काम लिया जाएगा. IRIS2 को केवल यूरोप के लिए ही तैयार किया जा रहा है. इसके मुकाबले स्टारलिंक दुनियाभर के देशों में सर्विस देती है और वह अब तक लॉ अर्थ ऑरबिट में 7,000 से अधिक सैटेलाइट भेज चुकी है.
IRIS2 से लिए जाएंगे ये काम
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने बताया कि IRIS2 का इस्तेमाल कई सरकारी कामों खासकर बॉर्डर और समुद्री सर्विलांस, क्राइसिस मैनेजमेंट और सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के कनेक्शन के लिए किया जाएगा. यह समुद्री यातायात, रेलवे, एविएशन, ऑटोमोटिव, स्मार्ट एनर्जी ग्रिड मैनेजमेंट, बैंकिंग, रिमोट हेल्थकेयर और ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी यूज किया जा सकता है.
12 साल में तैयार होगा प्रोजेक्ट
इसी प्रोजेक्ट के लिए 12 साल का समय निर्धारित किया गया है. इस पर 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आने की उम्मीद है और प्रोजेक्ट का पहला सैटेलाइट 2029 में लॉन्च किया जाएगा. इसकी लागत का भार यूरोपीय संघ, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और कुछ प्राइवेट कंपनियां उठाएंगी.
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