नई दिल्ली: फेसबुक ने एक ओवर साइटबोर्ड बनाने की घोषणा की है. इसे फेसबुक का 'सुप्रीम कोर्ट' माना जा रहा है. इस बोर्ड में एक पूर्व प्रधानमंत्री, एक नोबेल शांति पुरस्कार और कई संवैधानिक कानून विशेषज्ञ और अपने पहले 20 सदस्यों के अधिकार वकील शामिल होंगे जो कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग के फैसले को भी पलट सकेंगे.
फेसबुक का 'ओवरसाइट बोर्ड' बिलकुल 'सुप्रीम कोर्ट' की तरह काम करेगा. इसमें 'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' और ह्यूमन राइट्स के आधार पर फैसले लिए जाएंगे. इस बोर्ड का मकसद फेसबुक और इंस्टाग्राम से गंदगी (अश्लील या विवादित पोस्ट) को हटाकर एक साफ सुथरा माहौल बनाना है. ये बोर्ड दोनों प्लेटफॉर्म पर मौजूद पोस्ट या कंटेट से जुड़े लेगा.
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कैसा कंटेट रहेगा या किस कंटेट को हटाना है, इसका फैसला भी ये ओवर साइटबोर्ड करेगा. ये बोर्ड 'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' और 'ह्यूमन राइट्स' के आधार पर फैसले लेगा. इसके अलावा फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कंटेट, पोस्ट, किसी की प्रोफाइल के साथ-साथ ऐड पर भी ये बोर्ड निगरानी रखेगा.
इस ओवरसाइट बोर्ड में 20 खास लोगों को नियुक्त किया गया है. जो ऐसे मामलों का निपटारा करेंगे जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे. बोर्ड के पास अधिकतम 90 दिन का समय होगा. हालांकि बोर्ड अपने फैसले जल्दी भी ले सकता है.लेकिन ये बोर्ड सरकार की किसी पॉलिसी में दखलअंदाजी नहीं कर पाएगा. अभी ये बोर्ड फेसबुक और इंस्टाग्राम के लिए ही काम करेगा. लेकिन कंपनी भविष्य में इसे अपने दूसरे प्लेटफॉर्म के लिए भी काम में ले सकती है.
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