इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्री में कुछ दिन पहले बड़ा उलटफेर उस वक्त देखने को मिला था जब एयरटेल को पछाड़ते हुए वोडाफोन-आइडिया देश की नंबर 1 कंपनी बन गए. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेलुलर के विलय को मंजूरी देने के बाद यूजर्स के मामले में इन दोनों ने एयरटेल को पछाड़ दिया था. इससे पहले भारती एयरटेल ने लगभग 15 सालों तक टॉप पॉजिशन पर राज किया.


किसी भी कंपनी के लिए टॉप पॉजिशन खोना छोटी बात नहीं होती, लेकिन भारती एयरटेल के पास वापस टॉप पॉजिशन पाने का बढ़िया मौका है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगली 2 से 3 तिमाही के भीतर रेवेन्यू के मामले में भारती एयरटेल फिर से सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि विलय एवं अधिग्रहण के नियमों के चलते वोडाफोन आइडिया का यूजर बेस कम हो सकता है.


वहीं बिजनेस एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारती एयरटेल टाटा टेलीसर्विसेज के कन्ज्यूमर बिजनेस खरीदने के बाद खासा फायदे में रहेगी. ऐनालिसिस के पार्टनर और हैड (इंडिया और मिडिल ईस्ट) रोहन धमीजा के अनुसार, ' इससे पहले भी देखा जा चुका है जब दो टेलीकॉम कंपनियां एक स्टेबल मार्केट में मिलकर एक होती है तो संयुक्त कंपनी को रेवेन्यू मार्केट शेयर में करीब 2 प्रतिशत का नुकसान होता है.


ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच के नितिन सोनी का कहना है, 'टाटा टेलीसर्विसेज को खरीदने से एयरटेल आसानी से रेवेन्यू शेयर मार्केट में वोडाफोन आइडिया को पछाड़कर वापस अपनी बादशाहत कायम कर लेगा.' फिलहाल भारती एयरटेल टाटा टेली डील के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का इंतजार कर रही है. इसके बाद कंपनी दूरसंचार विभाग से भी मंजूरी लेगी.